रमजान में जारी है रोजा रखने का सिलसिला, दूसरा अशरा मगफिरत का चल रहा
भिलाई : न्यूज 36 : रमज़ान मुबारक के तीन अशरे (दस दिन) होते हैं जिसमें पूरा रमजान 30 दिन का मुकम्मल होता है। होली के बाद स्कूली स्तर पर ज्यादातर कक्षाओं की वार्षिक परीक्षाएं हो चुकी हैं। ऐसे में माहे रमजान के दौरान नन्हें बच्चे भी इबादत की राह पर हैं।
मरकजी मस्जिद पावर हाउस कैंप 2 के मौलाना हाफिज इनामुल हक बताते हैं अल्लाह के आखिरी नबी हजरत मोहम्मद सल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इंसानों को अल्लाह के अहकाम पैगाम पहुंच कर उनको पूरा करने का तरीका भी बताया दिया है। रमजान में पहला अशरा (दस दिन) रहमत का होता है दूसरा मगफिरत (माफी) ओर तीसरा जहन्नुम (नरक) से आजादी का होता है।
इस्लाम में हर इबादत बालिगों पर फ़र्ज़ होती है। औसतन 10 वर्ष की उम्र में माहे रमजान मुबारक में छोटे छोटे बच्चे भी रोजा रखते हैं। इन बच्चों पर अभी रोज़ा फ़र्ज़ नहीं है फिर भी अपने बड़ों व घर वालों को देखकर इनके अंदर अल्लाह के इस हुक्म को पूरा करने का जज्बा देखने मिल रहा है। कोई 5 साल, कोई 6 साल और 7 साल की अभी उम्र में है लेकिन अंदर रोज़ा रखने का शौक पैदा हुआ है। मौलाना इनामुल हक कहते हैं कि रोज़ा अल्लाह की बेहतरीन इबादत है जो बुराइयों से रोकतीं है ऐसी असरदार इबादत कि इसके शुरू करने से शरीर और मन अल्लाह की मोहब्बत में आ जाते है। रोजा रखते ही रोजदार अपने आप को झूठ बोलने, दगा देने, फरेब करने और हर किस्म की बुराई से रुक जाता है।
मौलाना इनामुल हक कहते हैं इसलिए इंसान में नेकी और अच्छाई की पैदाइश करने बच्चों को बचपन से रोज़ा की आदत डालें जिससे वे सच्चे ओर ईमानदार और इंसानियत के हमदर्द बने। खुर्सीपार की रहने वाली 6 साल की मायरा जैनब कहकशां ने छह साल की उम्र में पहली बार रोजा रखा है। इसी तरह कैम्प-1 की मायरा निजामुद्दीन ने भी पहली बार रोजा रखा है। खुर्सीपार जोन-2 निवासी मोहम्मद आबिद के 5 साल के बेटे मोहम्मद एहतेशाम ने भी इस साल पहली बार रोजा रखा है। शहर की मस्जिदों में भी कई छोटे बच्चे अपने बड़ों के साथ इफ्तार के वक्त पहुंचते हैं। इन बच्चों में रोजा रखने का जज्बा देखकर हर कोई तारीफ कर रहा है।
अल मदद सोसाइटी के रोजा इफ्तार में जुटे लोग, की गईं दुआएं
मुस्लिम महिला गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) अल मदद एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसाइटी की जानिब से रोजा इफ्तार का आयोजन सेक्टर-6 जामा मस्जिद के कम्युनिटी हॉल में रखा गया। जिसमें बड़ी तादाद में शामिल लोगों ने इफ्तार किया और दुआए खैर की। सोसायटी की संस्थापक अंजुम अली ने बताया कि इस आयोजन में बैतुल माल कमेटी और बीबी फातिमा जोहरा कमेटी से जुड़े लोग और उमरपोटी मदरसे के बच्चों ने भी शिकरत की। इस इफ्तार के आयोजन में सेक्रेटरी कौसर खान के साथ लीना तज़मीन और तहमीना की मुख्य भूमिका रही। वहीं सैयद जमशेद अली, आरिफ खान, शमीमुद्दीन और अलीमुद्दीन कुरैशी ने विशेष सहयोग दिया।