EWS Quota SC Verdict : दाखिले और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले 103वें संविधान संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया. पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने संविधान के 103 वें संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता को बरकरार रखा है.
सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10 फीसदी आरक्षण देने की व्यवस्था को संवैधानिक करार दिया. प्रधान न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने EWS कोटे के पक्ष में फैसला सुनाया, जबकि जस्टिस एस. रवींद्र भट ने असहमति जताते हुए इसे अंसवैधानिक करार दिया.
जस्टिस रविन्द्र भट ने जताई असहमति
आर्थिक आधार पर आरक्षण फैसला देते हुए जस्टिस रविन्द्र भट ने असहमति जताई है. रविन्द्र भटा ने कहा कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा SC/ST/OBC का है. उनमें बहुत से लोग गरीब हैं. इसलिए, 103वां संशोधन गलत है. जस्टिस एस रविंद्र भाट ने 50 प्रतिशत से ऊपर आरक्षण देने को भी गलत माना है. जस्टिस एस रविंद्र भाट ने 50 प्रतिशत से ऊपर आरक्षण देने को भी गलत माना है. (EWS Quota SC Verdict)
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 15(6) और 16(6) रद्द होने चाहिए. जबकि, चीफ जस्टिस ललित ने भी आर्थिक आधार पर आरक्षण का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि मैं जस्टिस रविंद्र भाट के फैसले से सहमत हूँ. यानी सुप्रीम कोर्ट ने 3-2 के बहुमत से EWS आरक्षण को बरकरार रखा है. (EWS Quota SC Verdict)