Saturday, April 20, 2024

रुपया गिरा धड़ाम, डॉलर के मुकाबले बुरी तरह टूटा, डॉलर के मुकाबले 83 से नीचे फिसला रुपया, जानिए डिटेल्स

भारतीय रुपये में गिरावट का दौर जारी है और यह गुरुवार 20 अक्टूबर 2022 को पहली बार ओपनिंग में एक डॉलर (Rupee vs Dollar) के मुकाबले 83 के स्तर को तोड़ कर नीचे चला गया है. रुपये ने आज शुरुआती कारोबार करते हुए इसमें 6 पैसे की गिरावट दर्ज की गई है और यह 83.08 रुपये प्रति डॉलर के लेवल पर आ गया. वहीं 9.15 मिनट पर रुपये करीब 83.06 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंच चुका है. पिछले कारोबारी दिन यानी 19 अक्टूबर 2022 को रुपये डॉलर के मुकाबले रुपये में 66 पैसे की कमी देखी गई थी और यह 83.02 रुपये पर बंद हुआ था. रुपये की गिरती कीमतों पर एक्सपर्ट्स लगातार चिंता जता रहे हैं और उनका यह मानना है कि जल्द ही यह 85 के मार्क को छू सकता है.

सरकार लगातार उठा रही कदम

गौरतलब है कि रुपये की गिरती कीमतों को कंट्रोल (Rupee at Record Low) करने के लिए सरकार लगातार बड़े कदम उठा रही है, लेकिन अब तक इसमें कोई सफलता हाथ नहीं लगी है. रुपये पिछले कुछ दिनों में लगातार कमजोर हो रहा है. साल 2022 की शुरुआत से अब तक रुपये की कीमतों में करीब 10% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है. साल 2014 से अब तक रुपये में 40.50% की गिरावट दर्ज की गई है. साल 2014 के मई महीने में रुपये 58.58 पर था जो अब गिरकर 83.08 तक पहुंच चुका है. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) पिछले दो साल के सबसे निचले स्तर पर आ चुका है. ऐसे में डॉलर की मांग लगातार बढ़ रही है और रुपये की कीमतों में जबरदस्त गिरावट दर्ज की जा रही है.

फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी से गिरा रहा रुपया

कई एक्सपर्ट्स का यह मानना है कि भारत समेत पूरी दुनिया की करेंसी में डॉलर के मुकाबले गिरावट देखी जा रही है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व देश में महंगाई पर रोक लगाने के लिए लगातार अपनी ब्याज दरों में इजाफा कर रहा है. बाजारों में डॉलर खरीद में बढ़त के चलते रुपये समेत पूरी दुनिया की मुद्रा में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है. अन्य एशियाई करेंसी में गिरावट के कारण भी भारतीय रुपये पर इसका असर पड़ रहा है.

रुपये की गिरती कीमत अर्थव्यवस्था के लिए घातक

आपको बता दें कि डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर होता रुपया भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के लिए बहुत नुकसानदायक साबित हो सकता है. रुपये की गिरती कीमतों के कारण तेल कंपनियों को तेल खरीदने के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे. इसके साथ ही खाने के तेल और बाकी इंपोर्ट आइटम के लिए भी सरकार को ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे, जिससे हमारी इंपोर्ट बिल में इजाफा होगा. इसके साथ ही विदेश में पढ़ने वाले लाखों भारतीय बच्चों पर भी इसका असर पड़ेगा और उनके माता-पिता को बच्चों की पढ़ाई के लिए ज्यादा फीस चुकानी पड़ेगी. इन सब का असर आखिर में अर्थव्यवस्था पर ही पड़ेगा.

वित्त मंत्री ने रुपये की गिरती कीमतों पर दिया था बयान

हाल ही में अमेरिका दौरे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने रुपये की गिरती कीमतों पर बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि रुपया कमजोर नहीं हो रहा, हमें इसे ऐसे देखना चाहिए कि डॉलर मजबूत हो रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि भारतीय रुपया विश्व की बाकि करेंसी की तुलना में काफी अच्छा कर रहा है.

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