आज से नए दरों पर रजिस्ट्री शुरू
रायपुर : न्यूज़ 36 : लगभग आठ महीने की तैयारी और संशोधनों के बाद राज्य सरकार ने आज से नई कलेक्टर दरें लागू कर दी हैं। रजिस्ट्री कार्यालयों में अब जमीन, प्लॉट, फ्लैट और व्यावसायिक संपत्तियों की रजिस्ट्री नई बढ़ी हुई सरकारी कीमतों पर होगी। रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग-भिलाई और अंबिकापुर समेत अनेक जिलों में जमीन की कीमतें 10% से लेकर 100% तक बढ़ाई गई हैं।
क्यों बढ़ानी पड़ी कीमतें
राज्य में वर्ष 2018 के बाद कलेक्टर गाइडलाइन में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ था। लगातार रियल एस्टेट में तेजी आने से बाजार दर और सरकारी दर में भारी अंतर पैदा हो गया था। इस असमानता के कारण न सिर्फ राजस्व प्रभावित हो रहा था, बल्कि किसानों के मुआवजे, सरकारी अधिग्रहण और बैंक लोन जैसी प्रक्रियाओं में भी समस्याएं आ रही थीं।

नई गाइडलाइन लागू होने से अब बाजार मूल्य और सरकारी दरों के बीच अंतर कम होगा।,,पहली बार बायपास रोड की जमीन मुख्य सड़क के बराबर
नई गाइडलाइन का सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब शहरों के भीतर की बायपास सड़कों को भी मुख्य सड़क की श्रेणी में माना गया है। इससे सड़क के दोनों ओर की जमीन की कीमत एक समान हो जाएगी।
निगम चुनाव परिसीमन के बाद जो नए वार्ड तय किए गए थे, उन्हीं के अनुसार जमीन का मूल्यांकन भी किया गया है।
आउटर एरिया में भी कई गुना उछाल
राजधानी रायपुर के आउटर इलाकों जैसे—
सेजबहार, सड्डू, कचना, संतोषीनगर, पचपेड़ी नाका, रिंग रोड, मठपुरैना, भाठागांव, सरोना, बीरगांव, बोरियाकला, बोरियाखुर्द, माना, टेमरी—
यहां जमीन की कीमत 15–20% तक बढ़ गई है।
जहां पहले 15–20 लाख में मिलने वाले प्लॉट अब 1 से 3 लाख रुपये तक महंगे हो जाएंगे।रजिस्ट्री का खर्च भी बढ़ेगा
जमीन की कीमत बढ़ने के साथ रजिस्ट्री के खर्च पर भी असर पड़ेगा
स्टांप ड्यूटी: 5.5%
महिलाओं को 0.5% की छूट
पंचायत उपकर: 1%
निगम ड्यूटी: 1%
उदाहरण
20 लाख रुपये की जमीन पर अब लगभग 2 लाख रुपये तक का कुल रजिस्ट्री भार आएगा।,,नई गाइडलाइन से क्या बदलेगा?
किसानों को भू-अर्जन में अधिक मुआवजा
बैंक अब ज्यादा लोन स्वीकृत कर सकेंगे
रियल एस्टेट में कीमतों की पारदर्शिता
नियमों की जटिलता कम: कंडिकाएं 9463 से घटाकर 5763
टैक्स चोरी और अवैध लेनदेन में कमी की उम्मीद
रियल एस्टेट सेक्टर की प्रतिक्रिया
प्रॉपर्टी कारोबारियों का मानना है कि नई गाइडलाइन से प्रारंभिक तौर पर खरीद-बिक्री महंगी जरूर होगी, लेकिन लंबे समय में मूल्यांकन पारदर्शी होने से बाजार स्थिर होगा।
आवास खरीदने वाले मध्यम वर्ग पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ आएगा, हालांकि बैंक लोन की सीमा बढ़ने से कुछ राहत मिल सकती है।
