Saturday, May 24, 2025

कृष्ण प्रिया कथक केंद्र दुर्ग-भिलाई के 30 वर्ष पूरे होने पर नृत्य नाटिका का ‘अल्फ़ाज़’ सफल मंचन

‘अल्फ़ाज़’  में कलाकारों ने दिखाई भारतीय सांस्कृतिक विरासत, नृत्य-संगीत और कथानक का अद्भुत संयोजन देख मुग्ध हुए दर्शक

भिलाई : न्यूज़ 36 : कथक प्रशिक्षण में विगत तीन दशक से सक्रिय कृष्ण प्रिया कथक केंद्र दुर्ग-भिलाई की ओर से नृत्य नाटिका ‘अल्फ़ाज़’ का मंचन रविवार 27 अप्रैल की शाम महात्मा गांधी कला मंदिर सिविक सेंटर में किया गया। देश की सांस्कृतिक विरासत को दिखाने न्यूनतम छह वर्ष से अधिकतम 45 वर्ष की उम्र के कलाकारों ने अपने सधे हुए नृत्य-संगीत के साथ कथानक का ऐसा अद्भुत संयोजन मंच पर प्रस्तुत किया कि दर्शक भी वाह-वाह करते रह गए। अल्फ़ाज़आयोजन की शुरूआत में केंद्र की संचालक श्रीमती उपासना तिवारी ने अपने उद्बोधन में अतिथियों का स्वागत करने के साथ-साथ सभी कलाकारों की मेहनत को भी रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि यह नृत्य नाटिका उनके केंद्र के सभी प्रशिक्षुओं और प्रशिक्षकों की साझा मेहनत का परिणाम है। इसके लिए विगत महीने भर से रिहर्सल जारी थी। इस नृत्य नाटिका में दर्शकों को नृत्य और संगीत के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विरासत देखने मिलेगी। इस दौरान उन्होंने जानकारी दी कि इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ से संबद्ध उनके केंद्र में कथक और सेमी क्लासिकल की प्रथम वर्ष से स्नातकोत्तर तक की शिक्षा दी जा रही है।

रिकेश ने सराहा उपासना की लगन को, बताया राष्ट्रीय सम्मान के काबिल

आयोजन में मुख्य अतिथि वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन ने कृष्ण प्रिया कथक केंद्र की संचालक श्रीमती उपासना तिवारी की लगन की सराहना करते हुए कहा कि वह पिछले तीन दशक से देख रहे हैं कि किस तरह श्रीमती तिवारी अपनी मेहनत और लगन से बच्चों का भविष्य गढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इनका योगदान इन्हें राष्ट्रीय सम्मान के काबिल बनाता है और भविष्य में वह चाहेंगे कि श्रीमती तिवारी को कला के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान के लिए राष्ट्रीय स्तर का सम्मान मिले। आयोजन में विशिष्ट अतिथि के तौर पर डॉ. सुधीर शुक्ला और डॉ. आलोक दीक्षित भी मौजूद थे।

मंच पर जीवंत हो उठे लेखिका और उसके अल्फ़ाज़

‘अल्फ़ाज़’नृत्य नाटिका मूलत: एक रचनात्मक यात्रा की मंचीय प्रस्तुति थी। जिसमें एक लेखिका और उसके शब्द स्वयं मंच पर सजीव होकर भारत की सांस्कृतिक विरासत को नृत्य और संगीत के माध्यम से प्रस्तुत कर रहे थे। इस अनूठी सांस्कृतिक प्रस्तुति में कथक की नजाकत से शुरू होकर लखनऊ की तहजीब, दिल्ली की महफ़िलें, बनारस की आध्यात्मिक मिठास और जयपुर घराने के दमदार नृत्य अपने अनूठे रंग भरते हैं। राजस्थान के घूमर की मधुरता, पंजाब के सूफी रंग और भांगड़ा के उल्लास के साथ इस नाटिका ने प्रेम, एकता और भारतीयता का सुंदर संदेश दिया। अंत में “दमादम मस्त कलंदर”की गूंज के साथ दिलों को जोड़ते हुए, “अलफ़ाज़” एक भावपूर्ण समापन तक पहुँचा। यहाँ शब्द थम गए लेकिन दर्शकों के दिलों-दिमाग पर कहानियाँ असर छोड़ गईं।

हर एक नृत्य प्रस्तुति पर मिली भरपूर दाद

नृत्य नाटिका‘अल्फ़ाज़’ की शुरुआत नृत्यांजलि से हुई, जिसमें छोटे बच्चों की शिव स्तुति ने मन मोह लिया। इसके बाद वर्ष ऋतु पर आधारित मल्हार नृत्य कथक शैली में, कथक दरबारी नृत्य राग दरबारी पर आधारित, छोटा ख़याल निर्मोही पर नृत्य, लखनऊ घराने को दर्शाते हुए ग़ज़ल पर कथक की प्रस्तुति हुई। फिर जयपुर घराने आधारित कथक नृत्य और लोकनृत्य घूमर, पंजाब की यात्रा मे वहाँ के सूफियाना शायरों के ज़िक्र के साथ बाबा बुल्ले शाह का लिखा ‘तेरे इश्क़ नचाया करके थैया थैया’ पर सूफ़ी नृत्य और पंजाब के लोक नृत्य भांगड़ा ने दर्शकों को उत्साह से भर दिया। अंत मे सिंध का उल्लेख कर भारत में प्रेम और एकता का संदेश के साथ  बाबा बुल्ले शाह के प्रसिद्ध सूफ़ी कलाम ‘दमा दम मस्त कलंदर’ पर शानदार नृत्य की प्रस्तुति हुई। करीब अढ़ाई घंटे के इस शो में सारी प्रस्तुतियां इतनी सधी हुई थी कि दर्शक भी दम साधे बैठे रहे और हर एक नृत्य शैली पर दाद देते रहे।

इनका भी रहा योगदान

इस नाटिका में संगीत समन्वय रविंद्र कर्मकार तरुण पहाड़े और साइन चक्रवर्ती, संगीत मिक्सिंग बिन्नी पॉल, ‘अल्फ़ाज़’ की आवाज महेंद्र ठाकरे, लेखिका की आवाज उपासना तिवारी, ‘अल्फाज’ के किरदार में मुदस्सर नासिर,लेखिका के किरदार में शुभम शुक्ला, मंच संचालन प्रभनित कौर सेठी और एलईडी ग्राफिक्स में सेजल चौधरी की भूमिका रही। वहीं इस समूचे आयोजन में डॉक्टर दिव्या राहटगांवकर, सेजल चौधरी, देविका दीक्षित, नीलिमा वासनिक, तनिष्क कर्णेवार, पुष्टि सैनी और सोनिया चौहान का विशेष योगदान रहा।

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