फलकासन दो शब्दों से मिलकर बना है।फलक का अर्थ लकड़ी का तख्ता होता है जबकि दूसरे शब्द आसन का अर्थ बैठना होता है। इस आसन को करने के दौरान शरीर लकड़ी के तख्ते की तरह ही सीधा और सख्त रखना होता है। फलकासन (Phalakasana) को अंग्रेजी में प्लैंक पोज (Plank Pose) कहा जाता है ये लेटकर किया जाने वाला प्राथमिक लेवल का आसान योगासन है।
आज के जमाने में युवाओ में 6 पैक एब्स बनाने का जबरदस्त प्रचलन है। इस के लिए युवा महंगे सप्लीमेंट लेने से लेकर जिम में घंटों तक पसीना बहाते हैं। पर जिम से मिलने वाले फायदों को घर में योग करके हासिल किया जा सकता है। पर यदि आप जिम करना बंद करते हैं, तो आपका शरीर जिम जैसा पूर्ववत नहीं रहता है। लेकिन योग से मिलने वाला लचीलापन और सुघड़ शरीर हमेशा बना रहता है।
योग विज्ञान में शरीर को मजबूत और लचीला बनाने के लिए फलकासन किया जाता है इसको पेट पर जमे हुए फैट को कम करने के लिए ये आसन बेहतरीन बताया गया है।
फलकासन के लाभ
1 फलकासन या प्लैंक पोज में अधिक जोर संतुलन और ताकत को बढ़ाने पर दिया जाता है। इसमें स्ट्रेचिंग पर ज्यादा जोर नहीं दिया जाता। इस आसन के अभ्यास से कोर मसल्स हाथों कंधों लोअर बैक बाइसेप्स ट्राईसेप्स को (एब्स)को मजबूत मिलती है और कंधों पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है।
2.फलकासन के नियमित अभ्यास से कंधे, अपर आर्म्स, फोरआर्म्स और कलाई के आसपास की मांसपेशियां टोन और मजबूत होती हैं।
3 मसल्स को लचीला बनाता है
फलकासन ने शरीर की मसल्स जैसे हैमस्ट्रिंग, क्वाड्रिसेप्स, पिंडली भी टोन होती है। रोज करने से इन अंगों में मजबूती और लचीलापन भी बढ़ता है।
4 फलकासन का एक बड़ा फायदा यह भी है कि ये एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है। ये आपको एकाग्रचित रहना सिखाता है और एकाग्रता को सुधारता है।
- एब्स को आकार देता है -पेट की मांसपेशियों या कोर एब्स को टोन करना वाकई सबसे कठिन होता है। लेकिन फलकासन में सबसे ज्यादा जोर पेट की मसल्स पर ही पड़ता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से ये टोन होती हैं और शरीर को थोड़े ही वक्त में सुडौल आकार मिलने लगता है।
- बैलेंस बनाने के लिए एकाग्रता की जरुरत बहुत अधिक होती है। एकाग्रता बढ़ने का मतलब है याददाश्त का सुधरना। इसलिए अगर इस आसन को नियमित रूप से किया जाए तो याददाश्त धीरे-धीरे बढ़ना शुरू हो जाती है।
- शरीर की ताकत बढ़ाता है
फलकासन के अभ्यास से पेट के चारों तरफ मांसपेशियों में जमा फैट कम होने लगता है। इससे शरीर को कहीं ज्यादा ताकत मिलने लगती है। इससे पेट की निचली मांसपेशियों को भी शक्ति मिलती है। - फलकासन के दौरान छाती को फैलाना पड़ता है। इससे सीने की मसल्स को अच्छा सपोर्ट मिलता है और वे टोन होने लगती हैं।
9 फलकासन करने के लिए बहुत ज्यादा सांस लेनी पड़ती है, इसी वजह से हमारे फेफड़ों की सांसों को स्टोर करने की क्षमता बढ़ जाती है। इससे रेस्पिरेटरी सिस्टम या श्वसन तंत्र भी बेहतर बनता है।
- फलकासन के अभ्यास से हिप्स और लोअर बैक की मसल्स टोन होने लगती हैं। इसके साथ ही हिप्स भी मजबूत और लचीले हो जाते हैं।
- फलकासन से पूरा शरीर स्ट्रेच होता है जिससे स्पाइन बेहतर बनता है और शरीर को सही पोश्चर में लाने में मदद करता है।
12 विशेषज्ञ कई थेरेपी में भी फलकासन करने की सलाह देते हैं। ये इंसोम्निया, माइग्रेन, ऑस्टियोपोरोसिस और शरीर की सामान्य कमजोरी जैसी समस्याओं को बहुत ही कारगर तरीके से दूर करने में मदद करता है।
- स्टैमिना बढ़ाने में मदद करे
फलकासन शरीर का सामान्य स्टैमिना बढ़ाने में मदद करता है। इसके साथ ही शरीर के स्ट्रेस और दर्द को दूर करने में भी मदद करता है।
फलकासन करने की विधि
सबसे पहले आप समतल जमीन पर स्वच्छ आसन बिछाकर उत्तानासन की अवस्था में उल्टा लेट जावे
अब आप अपने हाथो को कोहनी मोड़ते हुएकंधो के पास हथेली टिकाकर रखे
फिर आप दोनो पैरो को जितना हो सके पीछे की तरफ ले जाएं।
हाथ की अंगुलियों को फैलाएं और दोनों हथेलियों पर शरीर का भार डालते हुए शरीर के ऊपरी भाग को उठाए
शरीर का पिछला भार पैरो के पंजों पर डालें।
हाथ एकदम सीधे रखे और घुटनों को मुड़ने न दें।
शरीर को एकदम सीधा रखने की कोशिश करें। जिससे सिर, रीढ़ की हड्डी, टेलबोन, हिप्स, घुटने और एड़ी एक सीध में रहै
एडियों को पीछे की तरफ दबाने की कोशिश करें।
इसी स्थिति में शरीर को 40 से 60 सेकेंड तक रहने दें।
अब घुटनों को मोड़ते हुए जमीन पर लगा दें।
इसके बाद बालासन में आकर कुछ देर तक आराम करें।
इस तरह एक चक्र पूरा हुआ
निरंतर अभ्यास से इसे आप बड़ा सकते है पर असुविधा होने पर इस आसन का अभ्यास न करें। कभी भी कंधे या घुटनों पर दबाव न डालें। हमेशा ध्यान दें कि आपने वॉर्मअप कर लिया हो और आपकी कोर मसल्स एक्टिव हो चुकी हों। अगर आप पहली बार ये आसन कर रहे हैं तो किसी योग्य योग गुरु की देखरेख में भी इस आसन का अभ्यास करें।
फलकासन करने में सावधानियां
फलकासन का अभ्यास शुरू करने से पहले हमेशा डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
फलकासन का अभ्यास सुबह खाली पेट ही करें भोजन के बाद ना करें
कंधो हाथ कोहनी कलाई पंजों अंगुलियो में दर्द चोट य़ा शल्य क्रिया किए जाने पर फलकासन का अभ्यास न करें।
पैर य़ा पैर के किसी भाग टांगों, जांघों में चोट य़ा दर्द होने पर फलकासन न करें।
रक्तचाप रोगी ये आसन बिल्कुल न करें।
एंग्जाइटी की समस्या कार्पल टनल सिंड्रोम होने पर फलकासन करने से बचें।