दुर्ग : न्यूज़ 36 : दुर्ग के शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय (वी. वाय. टी. कॉलेज) के भूगोल विभाग द्वारा विस्तार गतिविधि कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें एम.ए. (द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर) तथा बी.ए. के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। यह कार्यक्रम महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अजय कुमार सिंह एवं भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार मिश्रा के निर्देशन में पीएम उषा 2.0 योजना के अंतर्गत संपन्न हुआ। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को भूगोल विषय के व्यवहारिक ज्ञान से अवगत कराना, उनके शैक्षणिक अनुभवों को समृद्ध करना और उन्हें पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति जागरूक बनाना था।
कार्यक्रम के अंतर्गत साइंस कॉलेज दुर्ग एवं शासकीय नवीन महाविद्यालय, आमदी के भूगोल विषय के विद्यार्थियों के साथ विभिन्न विषयों में संवाद हुआ। इस संवाद सत्र में विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चा की गई, जिसमें भूगोल विषय का अन्य विषयों के साथ संबंध, ग्लोबल वार्मिंग और उसके प्रभाव, वर्षा जल संचयन (रेन वाटर हार्वेस्टिंग), पर्यावरण संरक्षण, सुदूर संवेदन (रिमोट सेंसिंग) एवं इसके वैज्ञानिक पहलू तथा भूगोल विषय में करियर के संभावित अवसर शामिल थे। संवाद के दौरान विद्यार्थियों ने न केवल विषयवस्तु को बेहतर तरीके से समझा, बल्कि एक-दूसरे के अनुभवों से भी सीखा। शैक्षणिक संवाद के अतिरिक्त विद्यार्थियों की संज्ञानात्मक और विश्लेषणात्मक क्षमताओं को विकसित करने के लिए क्विज प्रतियोगिता एवं अन्य ज्ञानवर्धक गतिविधियों का भी आयोजन किया गया।
इस अवसर पर शासकीय नवीन महाविद्यालय, आमदी के प्राचार्य डॉ. गौकरण प्रसाद जायसवाल ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के संवाद विद्यार्थियों के ज्ञानवर्धन के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों में न केवल विषय के प्रति रुचि बढ़ती है, बल्कि वे अपने विचारों को प्रभावी रूप से प्रस्तुत करने में भी सक्षम होते हैं। महाविद्यालय के भूगोल विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. डिगेश्वर कुमार अटल ने साइंस कॉलेज के विद्यार्थियों और प्राध्यापकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विद्यार्थियों के बीच संवाद स्थापित होने से उनमें आत्मविश्वास बढ़ता है और वे अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए प्रेरित होते हैं।
विस्तार गतिविधि कार्यक्रम के अगले चरण में विद्यार्थियों ने महानदी के उद्गम स्थल, सिहावा पर्वत, का अध्ययन किया। अध्ययन के दौरान विद्यार्थियों ने महानदी के धार्मिक महत्व, उसकी भूगर्भिक संरचना, चट्टानों की विशेषताएँ और नदी के आसपास के क्षेत्र पर इसके प्रभाव का विश्लेषण किया। इसके अतिरिक्त, गंगरेल बांध का भी भ्रमण किया गया, जहाँ विद्यार्थियों ने जल संसाधन प्रबंधन, जल विद्युत उत्पादन, स्थानीय व्यवसायों और कृषि कार्यों पर इसके प्रभाव को समझने का प्रयास किया।
इस कार्यक्रम में साइंस कॉलेज के सहायक प्राध्यापक प्रशांत दुबे, डॉ. कीर्ति पांडे, डॉ. ओमकुमारी वर्मा, शोधार्थी रोशन कुमार एवं महाविद्यालय के विद्यार्थी आकाश, विनीता, चंद्रकांत, अमित, देवेंद्र, रोहित, राजेश सहित कुल 32 विद्यार्थी उपस्थित रहे। यह कार्यक्रम विद्यार्थियों के लिए अत्यंत ज्ञानवर्धक एवं प्रेरणादायक सिद्ध हुआ। इस आयोजन ने न केवल भूगोल विषय की व्यवहारिक समझ को सुदृढ़ किया, बल्कि पर्यावरणीय विषयों और संसाधन प्रबंधन के प्रति विद्यार्थियों को जागरूक भी किया। इस प्रकार के कार्यक्रम विद्यार्थियों की शैक्षणिक और व्यावहारिक शिक्षा को बेहतर बनाने में सहायक होते हैं और उनके सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।