रमजान का एक हफ्ता बीता, जगह-जगह हो रहा इफ्तार का इंतजाम
भिलाई : न्यूज़ 36 : रमजान के मुबारक महीने में मुस्लिम समुदाय का इबादत का सिलसिला जारी है। लोग रोजा रख रहे हैं और वक्त की पाबंदी के साथ नमाज भी अदा कर रहे हैं। रोजा रख कर जहां लोग भूख और प्यास की शिद्दत को महसूस कर अपने रब को याद कर रहे हैं वहीं इस महीने रात में एक खास नमाज तरावीह भी जगह-जगह पढ़ाई जा रही है। लोग घरों से लेकर मस्जिदों तक में तरावीह की नमाजें पढ़ रहें हैं। शहर की तमाम मस्जिदों में शाम के वक्त रोजा खोलने इफ्तार के खास इंतजाम किए गए हैं वहीं सार्वजनिक व निजी तौर पर लोग इफ्तार करवा रहे हैं।
तरावीह में सुनाया जाता है कुरआन शरीफ डॉ. सैयद इस्माइल
माहे रमजान के दौरान पढ़ी जाने वाली खास नमाज तरावीह के संबंध में इस्लामिक मामलों के जानकार और भिलाई स्टील प्लांट से सेवानिवृत्त खुर्सीपार निवासी डॉ. सैयद इस्माइल ने बताया तरावीह की नमाज सुन्नत होती है। सुन्नत उसे कहा जाता है, जो पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को पसंद थीं। तरावीह नमाज भी सुन्नत-ए-मौअक्कदा है, यानी ये नमाज फर्ज (अनिवार्य) नहीं है। लेकिन पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लाहुअलैहिसल्लम तरावीह की नमाज पढ़ा करते थे, इसलिए यह नमाज पढ़ी जाती हैं। इस खास नमाज में 26 रमजान के पहले पवित्र कुरआन पूरा सुनाया जाता है। रोजाना कुरान को नमाज़े तरावीह में पढ़ने के बाद आवाम को अल्लाह के पैगाम जो हजरत मोहम्मद सल्लाहो अलैहि वसल्लम के जरिए दिए गए उसको अनुवाद करके समझाया जाता है।
रोजा रखने से सुधरती है शारीरिक और मानसिक सेहतः मुफ्ती शाहिद
मदरसा ताजुल उलूम रुआबांधा भिलाई के प्रिंसिपल मुफ़्ती मुहम्मद शाहिद अली मिस्बाही बताते हैं कि रोज़ा न केवल आध्यात्मिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। मुफ्ती शाहिद बताते हैं रोज़ा शरीर को कैलोरी जलाने और वसा कम करने में मदद करता है। यह वजन घटाने और मोटापे को नियंत्रित करने का एक प्रभावी तरीका है। रोज़ा इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करता है और ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह मधुमेह के खतरे को कम करता है। रोज़ा कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को कम करके हृदय स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। यह हृदय रोग के खतरे को कम करता है।
मुफ्ती शाहिद बताते हैं कि रोज़ा पाचन तंत्र को आराम देता है और इसे बेहतर ढंग से काम करने में मदद करता है। यह कब्ज और अन्य पाचन समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। शरीर को डिटॉक्सिफाई करता है, जिसमें रोज़ा शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। यह शरीर को साफ और स्वस्थ रखने में मदद करता है। रोज़ा प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। रोज़ा मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता में सुधार करता है। रोज़ा तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है। रोज़ा अवसाद के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। रोज़ा आत्म-अनुशासन और आत्म-नियंत्रण को बढ़ावा देता है। मुफ्ती शाहिद कहते हैं रोज़ा रखने के और भी बहुत से शारीरिक और मानसिक फायदे हैं मगर जब भी रोज़ा रखें तो इबादत ही की नीयत से रखें, यह फायदे भी मिल ही जाएंगे मगर असल इबादत ही है।
मस्जिदों और घरों में हो रही है तरावीह की नमाज़
मर्कज़ी मस्जिद पावर हाउस कैंप 2 में इमाम व हाफ़िज़ कासिम बस्तवी कुरान मजीद सुना रहे हैं। यहां ईशा की नमाज रात 8.15 बजे और तरावीह 8.30 बजे रोजाना हो रही है। मस्जिद आयशा हाउसिंग बोर्ड में मौलाना इनामुल हक पढ़ा रहे हैं। यहां ईशा रात 8.00 बजे और तरावीह 8.15 बजे ,मरकज सुपेला मस्जिद नूर में मुफ्ती सोहेल साहब तरावीह पढा रहे हैं और यहां ईशा 8.15 बजे तरावीह 8.30 बजे हो रही है। फरीद नगर मदनी मस्जिद में ईशा की नमाज 8.15 और तरावीह 8.30 मौलाना दिलशाद और हाफ़िज़ शाह आलम पढ़ा रहे हैं। अय्यप्पा नगर मस्जिद अबू बकर में हाफ़िज़ इश्तियाक पढ़ा रहे हैं। यहां ईशा 8.00 बजे और तरावीह 8.15 हो रही है। जामा मस्जिद जामुल में हाफ़िज़ अहमद पढ़ा रहे हैं। यहां ईशा 8.00 बजे और तरावीह 8.15 बजे हो रही है। एकता नगर भिलाई-3 में ईशा 8.30 बजे और तरावीह 8.45 हाफ़िज़ मुकर्रम और हाफ़िज़ मोइनुद्दीन पढ़ा रहे हैं। पेट्रोल पंप भिलाई-3 में ईशा 8.15 बजे और तरावीह 8.30 बजे हो रही है। हाफ़िज़ शाहनवाज और हाफ़िज़ अताउल्लाह नमाज़ अदा करा रहे हैं। मस्जिद अक्सा चरोदा में ईशा 8.45 बजे ओर नमाज़ तरावीह 9 बजे हो रही है। नमाज़ हाफ़िज़ सुफियान साहब पढा रहे हैं। सेक्टर-1 में मौलाना जुनैद तरावीह पढ़ा रहे हैं। यहां नमाज़ 8.15 बजे हो रही है। इसी तरह हाफ़िज़ रेहान सुपेला में नमाज पढ़ा रहे हैं।