काल गणना विज्ञान में महाकाल की नगरी अद्भुत: डॉ. शर्मा
भिलाई : न्यूज़ 36 : देश-विदेश के सफल शैक्षणिक यात्री एवं लेखक आचार्य डॉ.महेश चंद्र शर्मा हाल ही सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व की नगरी उज्जैन से लौटे। उन्होंने अपने इस सांस्कृतिक प्रवास में इस प्राचीन नगरी का महत्व विशेष रूप से उल्लेखित किया।उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश-दुनिया में भारतीय नववर्ष , विक्रमी संवत 2082 मनाया जा रहा है। उज्जैन के विद्वान् राजा वीर विक्रमादित्य और महाकवि कालिदास के आराध्य भगवान महाकाल की नगरी उज्जयिनी की काल गणना भी अद्भुत और प्रेरक है। उन्होंने कहा कि उज्जैन ठीक कर्क रेखा पर स्थित है। यहां की शासकीय जीवाजी वेधशाला भी उल्लेखनीय है। उज्जैन का मध्य रेखा पर आधारित होना महत्त्वपूर्ण है। डॉ. शर्मा ने बताया कि यहां विक्रमादित्य की वैदिक घड़ी काल गणना का सबसे पुराना और प्रामाणिक उदाहरण है। इसे जयपुर के प्रसिद्ध गणितज्ञ और ज्योतिषी महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने स्थापित किया और स्व.महाराजा जीवाजी राव सिंधिया ने 1923 में ने इस वेधशाला का जीर्णोद्धार कराया। विगत वर्ष प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने इसका लोकार्पण किया। इस दौरान वेधशाला के अधीक्षक डॉ.राजेन्द्र प्रकाश गुप्त एवं शिक्षक डॉ.गिरिवर शर्मा ने आचार्य डॉ.महेश चन्द्र शर्मा को विक्रमादित्य वैदिक घड़ी और वेधशाला का विस्तृत अवलोकन कराया। इसरो के चेयरमैन और वेदों के भी ज्ञाता श्रीयुत् श्रीधर सोमनाथ भी वर्ष 2023 में इसका अवलोकन कर प्रशंसा कर चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि डॉ. महेश ने सपरिवार महाकाल शिवजी के दर्शन उपरांत भारतीय ज्ञान-विज्ञान परंपरा के संदर्भ में वैदिक घड़ी आदि, तारामण्डल , ग्लोब एवं नक्षत्र वाटिका का शैक्षणिक भ्रमण किया। डॉ.शर्मा की पुस्तकों में भी अणु- परमाणु , वैदिक गणित, गुरुत्वाकर्षण, भूगोल-खगोल आदि की विज्ञान परम्परा के विस्तृत एवं प्रामाणिक सन्दर्भ उल्लेखित हैं। तदनुसार भारतीय वैज्ञानिकों ने विदेशी वैज्ञानिकों से बहुत पहले ही प्रायः सभी अनुसंधान कर लिये थे। उज्जैन स्थित इन केन्द्रों का संचालन महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान, मध्यप्रदेश शासन संस्कृत भवनम्, भोपाल द्वारा किया जाता है। संस्थान के अधिकारियों ने आचार्य डॉ. महेश चन्द्र शर्मा को भी सन्दर्भित अनेक पुस्तकें भी भेंट की।