Saturday, July 27, 2024

शब-ए-बराअत पर होगी खास इबादत, रोशन हुए मस्जिद-कब्रिस्तान

भिलाई : न्यूज़ 36 : मुस्लिम समुदाय में अपने दिवंगत परिजनों को याद करने का दिन शब-ए-बराअत 25 फरवरी रविवार को है। इस दौरान घरों, मस्जिद और कब्रिस्तान में खास इबादतें की जाएंगी। शब-ए-बराअत को देखते हुए शहर के तमाम मस्जिद और कब्रिस्तान में रोशनी की गई है।
कब्रिस्तान हैदरगंज कैम्प-1 भिलाई में 25 फरवरी को सुबह 10 बजे से कुरआन ख्वानी और फातिहा ख्वानी रखी गई है। वहीं इसके पहले कब्रिस्तान की साफ-सफाई पूरी कर ली गई है। यहां पहुंचने वालों के लिए कमेटी की ओर से तमाम जरूरी सहूलियतें मुहैया कराई गई हैं। शाम के वक्त यहां लोग अपने दिवंगत परिजनों की कब्र पर फूल चढ़ाएंगे और दुआएं करेंगे। इसी तरह शहर की तमाम मस्जिदों में शब-ए-बराअत को देखते हुए खास इबादत के इंतजाम किए गए हैं। जामा मस्जिद सेक्टर-6 में 25 फरवरी की शाम नमाज-ए-मगरिब के बाद सूरए यासीन पढ़ी जाएगी। मस्जिद हजरत बिलाल हुडको में मगरिब की नमाज़ होगी। वहीं बाद नमाज़ नफिल शबे बराअत की रात पर मुफ्ती जामी कमर साहब रोशनी डालेंगे।

तकरीर होगी कब्रिस्तान में

वहीं जश्ने इमाम ए आज़म अबू हनीफा कॉन्फ्रेंस और महफिल में शबे बराअत रात 10 बजे से हैदरगंज मुस्लिम कब्रिस्तान कैंप-1 में रखी गई है। जिसमें मेहमानी खुसूसी हजरत अल्लामा मुफ्ती शमसुद्दीन मकराना राजस्थान होंगे। जामा मस्जिद सेक्टर-6 के साबिक इमाम सैयद अजमलुद्दीन हैदर की सरपरस्ती और जामा मस्जिद सेक्टर-6 के इमाम व खतीब इकबाल अंजुम हैदर अशरफी की जेरे सदारत होने वाली इस कॉन्फ्रेंस में शायरे इस्लाम डॉक्टर जहीरूद्दीन रहबर रायपुर, मौलाना गुलाम मोहिउद्दीन रजवी फरीदनगर और शायरे इस्लाम कारी वसीम अख्तर नागपुरी भी शामिल होंगे।

ऐसे करें खास इबादत

इस साल शबे बारात 25 फ़रवरी बरोज़ इतवार की रात को होगी। शाबान उल मोअज़्ज़म के रोज़े में जो लोग 3 रोज़े रखना चाहते हैं उसकी तारीख़ ख्याल रखें। जो लोग दो रोज़े रखना चाहते हैं वो 25-26 फ़रवरी को रखें। जो सिर्फ एक रोज़ा रखना चाहते हैं, जो के अफ़ज़ल भी है। वो 26 फ़रवरी बरोज़ पीर का रोज़ा रखें। शाबान उल मोअज़्ज़म की 14 तारीख़ यानी 25 फ़रवरी बरोज़ इतवार को असर की नमाज़, मगरिब की नमाज़ से पहले 40 मरतबा ला हौल वला कुव्वता इल्ला बिल्ला हिल अलिय्यिल अज़ीम और उसके बाद 100 मरतबा दरूद शरीफ़ पढ़ें।
फिर मगरिब की नमाज़ के बाद 2-2 कर के 6 रकात नमाज़ नफ़िल पढ़ें। पहली 2 रकात रिज़्क में बरकत के लिए दूसरी 2 रकात दराज़गिए उम्र के लिए यानी उम्र में बरकत के लिए और तीसरी 2 रकात दुनिया की तमाम आफतों बलाओं से बचने के लिए होगी।
हर रकात में सूरह फातेहा के बाद जो भी सूरह याद हो पढ़ सकते हैं। हर 2 रकात मुकम्मल करने के बाद वहीं बैठ के एक मरतबा पूरी सुरह यासीन शरीफ़ पढ़ें। देख के पढ़ें,याद हो तो बिना देखे भी पढ़ सकते हैं या किसी पढ़ने वाले से सुनें।
इस तरीक़े से पूरी 6 रकात होने पर 3 मरतबा यासीन शरीफ़ हो जाएगी। उसके बाद अपने अपने घरों में शबे बराअत की फातिहा का एहतमाम करें। फतिहा में हज़रते ओवेस क़रनी रदि अल्लाहो तआला अन्हो और आप के तमाम मरहूमिन जो दुनिया से रुखसत हो चुके हैं उनका ज़िक्र करें।

पढ़ें दरुदो सलाम

15 वी शाबान को बाद नमाज़ ए मगरिब गुस्ल के पानी में 7 या 9 बेर की पत्ती डाल के गुस्ल की भी बहुत फज़ीलत है। फ़िर ईशा के बाद शबे बारात की महफ़िल ए मिलाद में शिरकत करें। मिलाद के बाद कब्रस्तान जा कर कब्रों की ज़ियारत करें। वहां भी फातेहा दरूदो सलाम पढ़ें। फिर रात भर जाग कर अल्लाह अज़्ज़वजल का ज़िक्र, नफ़िल नमाज़ पढ़ें, कज़ा ए उम्री अदा करें।

आप की राय

[yop_poll id="1"]

Latest news
Related news