Friday, November 22, 2024

स्कूली छात्राओं ने समझा आदिवासी लोकवाद्यों को

संग्राहक रिखी क्षत्रिय के संग्रहालय में छात्राओं ने सुनी लोकवाद्य सहेजने की कहानी, छत्तीसगढ़ी संस्कृति को भी समझा

भिलाई। जवाहर नवोदय विद्यालय डोंगरगढ़ के विज्ञान ज्योति प्रोग्राम 2023-24 के अंतर्गत डोंगरगढ़-जिला राजनांदगांव के 50 से ज्यादा स्कूली छात्राओं का समूह अपने शिक्षकों के साथ भिलाई पहुंचा। बीती रात इन छात्राओं ने प्रख्यात लोक वाद्य संग्राहक रिखी क्षत्रिय के मड़ोदा सेक्टर स्थित निवास व कार्यशाला में करीब 2 घंटे बिताए।
जहां इन स्कूली छात्राओं ने छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों के आदिवासी अंचल से रिखी क्षत्रिय द्वारा एकत्र किए गए लोक वाद्यों को करीब से देखा। इन छात्राओं ने रिखी क्षत्रिय द्वारा से छत्तीसगढ़ी संस्कृति से जुड़ी तमाम जानकारियां हासिल की। वहीं छत्तीसगढ़ के परंपरागत वाद्य यंत्रों में कुछ को इन छात्राओं ने बजा कर भी देखा और तमाम गतिविधियों के खूब वीडियो भी बनाए।
देर शाम पहुंची इन छात्राओं ने रिखी क्षत्रिय इन वाद्य यंत्रों को संग्रह करने के अनुभव और इन्हें बजाने की तकनीक की जानकारी विस्तार से दी। बच्चियों ने कई सवाल पूछ कर अपनी जिज्ञासा शांत की। इस दौरान रिखी क्षत्रिय ने बताया कि उन्होंने साल 1985 से वाद्य यंत्र संजोने का सिलसिला शुरू किया था, जो अब तक जारी है। छात्राओं के सवाल के जवाब में रिखी ने बताया कि 1984-85 में केंद्र सरकार ने आदिवासियों की संस्कृति का अध्ययन करने एक प्रोजेक्ट दिया था। जिसमें शोध के दौरान उनका आदिवासी वाद्य यंत्रों से परिचय होता गया और इन्हे संग्रहित करने उनका जुनून बढ़ता गया। भिलाई स्टील प्लांट से सेवानिवृत होने के बाद भी वह दूर दराज के आंचल में दुर्लभ लोक वाद्य का पता मिलने पर इन्हें संरक्षित करने के उद्देश्य से लेने जा रहे हैं।
रिखी क्षत्रिय ने बताया कि उनके संग्रहालय में सबसे छोटा (डेढ़ इंच का) वाद्ययंत्र ‘कुहुकी’ है। जिससे कोयल की आवाज निकलती है। इसी पर उन्होंने संग्रहालय का नाम ‘कुहुकी कलाग्राम’ रखा है। उन्होंने बताया कि पहले घर के हॉल में वाद्य यंत्रों को रखना शुरू किया, लेकिन जल्दी ही वह छोटा पड़ने लगा। इसके बाद उन्होंने बड़ा हॉल बनवाया। वहीं संग्रहालय में सबसे बड़ा माड़िया वाद्य यंत्र है जो सवा पांच फीट लंबा है। इसकी गोलाई डेढ़ फीट है। उन्होंने बताया कि ‘कुहुकी कलाग्राम’ में हू-ब-हू शेर की आवाज निकलने वाली वाद्ययंत्र ‘घुमरा’ भी मौजूद है। उन्होंने इसे बजा कर भी दिखाया।
इन छात्राओं और शिक्षकों ने रिखी क्षत्रिय से छत्तीसगढ़ी संस्कृति से जुड़ी जानकारी भी ली। जवाहर नवोदय विद्यालय डोंगरगढ़ के विज्ञान ज्योति प्रोग्राम 2023-24 के अंतर्गत इस अध्ययन यात्रा में केंद्रीय विद्यालय डोंगरगढ़, शासकीय कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल डोंगरगढ़, शासकीय कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल डोंगरगढ़, शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल मुरमुंदा, स्वामी आत्मानंद शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूल डोंगरगढ़ और शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल बधियाटोला डोंगरगढ़ की 50 से ज्यादा छात्राएं अपने शिक्षकों के साथ शामिल थीं।

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