Political Crisis in Jharkhand : झारखंड के राजनीतिक हालात को लेकर इन दिनों सियासी गलियारों में तमाम तरह की चर्चाएं चल रही हैं. वहीं इस पूरे प्रकरण को लेकर आज झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस केंद्र को रिपोर्ट सौंप सकते हैं. रमेश बैस दिल्ली (Delhi) पहुंचकर इस मामले में रिपोर्ट सौंप सकते हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता को लेकर बरकरार संशय पर झारखंड राज्यपाल का ये दिल्ली दौरा बेहद अहम माना जा रहा है.
राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन
वहीं इससे पहले बीती शाम कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं के मुताबिक, राज्यपाल ने उनसे कहा कि हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता के मसले पर निर्वाचन आयोग का पत्र राजभवन को मिला है. इस पत्र के कंटेंट पर वो विधि विशेषज्ञों से परामर्श ले रहे हैं और जल्द ही स्थिति स्पष्ट हो जायेगी. Political Crisis in Jharkhand
इसके साथ ही प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक ज्ञापन भी सौंपा है, जिसमें कहा गया है कि मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 192 (1) के तहत जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9-ए के तहत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित किया गया है. ऐसी खबरें राजभवन के सूत्रों के हवाले से चल रही हैं. इससे राज्य में अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गयी है और लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गयी सरकार को अस्थिर करने के लिए राजनीतिक द्वेष को प्रोत्साहन मिल रहा है. इसलिए वो राजभवन से स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह कर रहे हैं.
जानिए क्या है पूरा मामला
गौरतलब है हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री रहते हुए रांची के अनगड़ा में अपने नाम 88 डिसमिल के क्षेत्रफल वाली पत्थर खदान लीज पर ली थी. भाजपा ने इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (लाभ का पद) और जन प्रतिनिधित्व कानून के उल्लंघन का मामला बताते हुए राज्यपाल के पास शिकायत की थी. राज्यपाल ने इसपर चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा था. आयोग ने शिकायतकर्ता और हेमंत सोरेन को नोटिस जारी कर इस मामले में उनसे जवाब मांगा और दोनों के पक्ष सुनने के बाद चुनाव आयोग ने बीते गुरुवार को राजभवन को मंतव्य भेजकर उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी. चुनाव आयोग का ये मंतव्य राजभवन के पास है और आधिकारिक तौर पर इस बारे में राजभवन ने सात दिनों के बाद भी कुछ नहीं कहा है. Political Crisis in Jharkhand