अभिनेता रजा मुराद ने भिलाई में की फिल्म ‘रमाई’ की शूटिंग, कही अपने दिल की बातें
भिलाई : जाने-माने फिल्म अभिनेता रजा मुराद का मानना है कि उनके लिए हर भूमिका चुनौतीपूर्ण रहती है लेकिन शाहू महाराज का ऐतिहासिक पात्र निभाना दर्शकों की उम्मीदों पर और ज्यादा खरा उतरने की जवाबदारी की तरह है। रजा मुराद यहां इस्पात नगरी भिलाई में भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर की पत्नी रमा बाई अम्बेडकर के संघर्ष व त्याग पर आधारित फिल्म ‘रमाई’ की शूटिंग के सिलसिले में आए हुए हैं।
शूटिंग के बीच पत्रकारों से चर्चा करते हुए रजा मुराद ने कहा कि शाहू महाराज का किरदार एक बेहद संजीदा और सकारात्मक सोच वाले इंसान का है, जिसे डा. अम्बेडकर के रूप में एक ऐसा नेतृत्वकर्ता दिखाई देता है जो समाज के वंचित तबके को उनके उत्थान के लिए सही दिशा दिखा सकता है और इन्हें शिक्षित कर सकता है। उन्होंने बताया कि इस फिल्म में डॉ. अम्बेडकर की भूमिका कर रहे डॉ. उदय कुमार का मानना था कि शाहू महाराज का किरदार मैं ही निभा सकता हूं, इसलिए जब डॉ. उदय ने इतनी उम्मीदों के साथ मुझे इस भूमिका के लिए अनुबंधित किया तो अब मेरी भी जवाबदारी है कि मैं अपने काम में खरा उतरूं।
इस किरदार को निभाने की तैयारी के संबंध में रजा मुराद ने कहा कि चूंकि यह ऐतिहासिक और वास्तविक पात्र है, इसलिए उन्होंने शाहू महाराज से जुड़े कालखंड और साहित्य का अध्य्यन किया। उन्होंने कहा कि उनके लिए फिल्म ‘रमाई’ एक अलग दर्जा रखती है क्योंकि अब तक डॉ. अम्बेडकर पर तो ढेर सारी फिल्में बन चुकी है लेकिन उनकी पत्नी रमा बाई अम्बेडकर के योगदान पर बहुत ज्यादा बात नहीं होती है। जबकि डॉ. अम्बेडकर के संघर्ष में रमा बाई ने सबसे ज्यादा साथ दिया और निजी जीवन में डॉ. अम्बेडकर के लिए सर्वाधिक त्याग किया। इसलिए इस फिल्म की सबसे अच्छी बात यही है कि डॉ. अम्बेडकर के साथ इस फिल्म में फोकस उनकी पत्नी रमा बाई अम्बेडकर पर है। फिल्म ‘रमाई’ के जरिए दुनिया को पता चलेगा कि डॉ. अम्बेडकर की सफलता और उनके महान होने के पीछे उनकी पत्नी रमा बाई का कितना अहम योगदान है। उन्होंने चर्चा के दौरान कहा कि डॉ. उदय कुमार और उनकी पत्नी प्रेरणा इस फिल्म में मुख्य किरदार निभा रहे हैं। दोनों पेशेवर कलाकार नहीं हैं, इसके बावजूद दोनों बेहतरीन काम कर रहे हैं और दोनों माता रमाई व डॉ. अम्बेडकर के किरदारों में डूब चुके हैं।
एक सवाल के जवाब में रजा मुराद ने कहा कि करीब 250 के लगभग फिल्में करने के बाद कोई एक फेवरेट किरदार चुनना तो मुश्किल है लेकिन फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली‘ में एक भ्रष्ट नेता और फिल्म ‘हिना‘ में एक पाकिस्तानी पुलिस वाले का किरदार निभाना उनके लिए यादगार रहा है।
भिलाई मेरा 35 साल से आना-जाना
रजा मुराद ने भिलाई से अपने रिश्ते को बयां करते हुए कहा कि पहली बार 1988 में रिसाली थियेटर के ड्राम फेस्टिवल में आया था। वो थियेटर को समर्पित एक यादगार समारोह था। भिलाई एक खुला शहर है और यहां खुले दिल के लोग रहते है। इसलिए जब भी भिलाई वाले किसी फंक्शन में बुलाते हैं, मैं चला आता हूं। कई बार तो रायपुर आता हूं तो भिलाई जरूर पहुंच जाता हूं अपने लोगों से मिलने।
जिसने पूरी उम्र फिल्म इंडस्ट्री को दी उसके लिए 5 मिनट भी नहीं है..?
मुंबई फिल्म जगत में अमूमन हर छोटे-बड़े कलाकार-तकनीशियन के आखिरी वक्त में पाबंदी से पहुंचने के सवाल पर रजा मुराद ने कहा कि जिसने अपनी पूरी जिंदगी फिल्म इंडस्ट्री में खपा दी है मैं समझता हूं कि उसे आखिरी सलाम करने जरूर जाना चाहिए। तीन दिन पहले रजा मुराद मुंबई में प्रख्यात अभिनेता जूनियर महमूद (नईम सैय्यद) के जनाजे में शामिल होने के बाद भिलाई के लिए रवाना हुए थे। उन्होंने कहा- हमारी फिल्म इंडस्ट्री का कोई बड़ा आदमी गुजरा हो या कोई लाइट मैन, कारपेंटर या क्लैब ब्वाय..मैं सभी के आखिरी वक्त में जाने की कोशिश करता हूं। जिसने अपनी जिंदगी के इतने साल दे दिए हों उनके लिए क्या हम 5 मिनट भी नहीं दे सकते..?
‘एनिमल‘ की सफलता कोई फार्मूला नहीं, कभी-कभी कुछ फिल्में चल जाती हैं
इन दिनों सुपरहिट साबित हो चुकी रणबीर कपूर की फिल्म ‘एनिमल‘ की सफलता से जुड़े सवाल पर रजा मुराद ने कहा कि जरूरी नहीं कि हिंसा से भरपूर हर फिल्म चल जाए। यह कोई सुपरहिट का फार्मूला नहीं है। कई बार ऐसी फिल्में भी सुपरहिट हो जाती है, जिनमें एक थप्पड़ तक नहीं होता है। उन्होंने कहा, दरअसल यह इंसान की फितरत होती है कि अगर सड़क पर कहीं मारपीट हो रही है तो वह कुछ देर रुक कर देखता है। एंग्री यंग मैन के रूप में अमिताभ बच्चन इसलिए सफल हुए क्योंकि एक आम निरीह आदमी जो अपनी हकीकत की जिंदगी में क्रांति नहीं कर सकता वह परदे के नायक को अन्याय से लड़ते हुए देखकर उसमें अपने आप को खोजता है। इसलिए हिंसा से भरपूर कुछ फिल्में चल जाती हैं।