आपसी मसले सुलझ रहे रजामंदी से, 50 परिवारों में लौटा सुकून
भिलाई : न्यूज़ 36 : मुस्लिम समुदाय की तंजीम (संस्था) दारुल कजा भिलाई-दुर्ग के तीन साल पूरे होने पर इज्लास-ए-आम (आम सभा) का आयोजन फरीद नगर मैदान में किया गया। जिसमें तंजीम के कामकाज और इससे जुड़ी तमाम जानकारियां अवाम के सामने दी गई।
इस इजलास की सदारत(अध्यक्षता) कर रहे मौलाना अतीक अहमद बस्तवी कन्वीनर आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि मुल्क की आजादी में सभी धर्म,ओर जाति समुदाय के लोगों का योगदान रहा है इस मुल्क को अमन और शांति के प्रतीक बनाने में सभी की भूमिका रही है हमारे उलेमा ए दीन की कुर्बानियां लगी है इसलिए हमारी जिम्मेदारी है कि मुल्क के भाईचारे को कायम करने अपनी भूमिका निभाएं।
खास मेहमान (विशेष अतिथि) मौलाना वसी अहमद कासमी काजी ए शरिया अमीरते शरिया फुलवारी शरीफ पटना ने कहा कि अल्लाह के नबी हजरत मोहम्मद सल्लाहो अलैहि वसल्लम वाली पाकीजा जिंदगी अपनाने के साथ सभी लोगों के साथ भाईचारा मोहब्बत और रिश्ते को मजबूत बनाएं। उन्होंने कहा कि अपने ईमान, माल और जान की जिम्मेदारी आपकी है। इसकी हिफाजत करें और किसी भी समाज की हक तल्फी ना हो। खास मेहमान मौलाना तबरेज आलम कासमी आर्गेनाइजर काजी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस दौरान बताया कि सभी समाज में अपने समुदाय के भीतर के घरेलू और निजी मामलों में आपसी रजामंदी से हल निकालने पहल की जाती है, इसी मकसद से मुस्लिम समुदाय के भीतर दारुल कजा कायम किया जाता है। इसके पहले दारुल कजा भिलाई-दुर्ग के सदर जिल्लू रहमान और सेक्रेटरी मोहम्मद अरशद ने यहां मौजूद सभी तंजीमो के नुमाइंदों का इस्तकबाल किया।
नायब सदर मोहम्मद नासिर ने दारूल कजा भिलाई दुर्ग का मकसद बताया। दारूल कजा के काजी शहर मुफ्ती मोहम्मद सोहेल ने बताया कि इसके जरिए 50 पारिवारिक मामलों के आपसी बातचीत रजामंदी से हल किया गया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय के पारिवारिक व सामाजिक मसलों हल करने के लिए लोगों को अल्लाह का डर रखना चाहिए और प्यारे नबी हजरत मोहम्मद की तालीम पर अमल करना चाहिए। जलसा के आखिर में मौलाना अतीक अहमद बस्तवी ने मुल्क के अमन चैन और खुशहाली के लिए दुआ करते हुए कहा कि आपसी भाईचारा कायम करना हमारी जिम्मेदारी है। इस मौके पर मुस्लिम समुदाय के प्रबुद्ध वर्ग चिकित्सक, इंजीनियरिंग, एडवोकेट, नौकरी पेशा और महिलाओं सहित मौलाना शकील , मोहम्मद युसूफ, नैय्यर इकबाल, सैय्यद असलम, हाजी अब्दुल हमीद, हाफ़िज़ सिराज, मौलाना दिलशाद , हाफ़िज़ शाह आलम मोहम्मद इरफान,शरीफ खान, हबीबुर्रहमान, मेहबूब भाई, जहांगीर भाई, सुलेमान, मोहम्मद अनवर पाशा, हाफिज मकसूद,मौलाना फैसल अमीन गुलजार, रज़ा सिद्दीकी और फ़ज़ल हक सहित तमाम लोग मौजूद थे।