दर्जनभर विभागों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की दरकार
भिलाई : BSP के कई विभागों में विशेषज्ञ चिकित्सकों के नहीं होने का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। गंभीर मरीजों को अन्य अस्पतालों में इलाज के लिए रिफर किए जाने से कई तरह की दिक्कतें हो रही हैं। इस मामले में सेल व लोकल प्रबंधन उदासीन बना हुआ है। यूनियनों ने जल्द नियुक्ति की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि बीएसपी में मेन पावर कम होने का सबसे अधिक दुष्प्रभाव बीएसपी के जेएलएन अस्पताल पर पड़ रहा है। इसकी कीमत हजारों संयंत्र कर्मियों उनके परिवारों और गैर संयंत्र कर्मियों को चुकानी पड़ रही है। पिछले कुछ साल से एक के बाद एक डाक्टर रिटायर हो रहे हैं लेकिन इनकी जगह भर्ती नहीं हो रही है। यूनियनों के मुताबिक खानापूर्ति के लिए आउटसोर्स के डाक्टरों से काम चलाया जा रहा है। पिछले दस साल के दौरान कई मत्वपूर्ण विभागों के विशेषज्ञ डाक्टर रिटायर हो चुके है।कई जल्द रिटायर होने वाले हैं। लेकिन रिक्त पदों पर स्पेशलिस्टों की भर्ती नहीं हुई है। इस कारण मरीजों को अन्य अस्पतालों में रिफर होना पड़ रहा है। मरीजों को रायपुर, बेल्लूर या बड़े शहरों के अन्य अस्पतालों में ले जाने से परिजनों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
जेएलएन अस्पताल मे हार्ट, न्यूरो, कैंसर, मनोरोग, किडनी और गेस्टलाजी सहित दर्जनभर से अधिक विभागों में स्पेशलिस्ट नहीं हैं। इसके अलावा कई सेवानिवृत्त हुए डाक्टरों के भी पद नहीं भरे गए हैं। इन रोगों से संबंधित मरीजों को मजबूरन बाहर के बड़े अस्पतालों में रिफर होंना पड़ रहा है।
सिमट रहा मनोरोग विभाग
एक दशक पूर्व तक बीएसपी के जेएलएन अस्पताल का मनोरोग विमाग सेंट्रल इंडिया के चुनिंदा चिकित्सालयों में शुमार था। यहां नामी मनोरोग विशेषज्ञ हुआ करते थे। लेकिन आज मरीज इलाज के लिए तरस रहे हैं। दो दशक पूर्व तक यहां प्रसिद्ध मनोरोग विशेषज्ञ डा. सहगल, डॉ. शैल वर्मा, डां अशोक त्रिवेदी, डां बिस्वास,डां मैनाक देव सिकदार आदि आधा दर्जन स्पेशलिस्ट थे। लेकिन इनके रिटायर होने के बाद अस्पताल सिमटने लगा है। इनकी जगह कोई स्थाई नियुक्ति नहीं की गई है। यूनियनों के मुताबिक सेल में सेलरी कम होने से डाक्टर यहां दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।

हार्ट के रिफर सबसे ज्यादा
सेक्टर नौ अस्पताल में हृदय रोग विभाग के पिछले करीबन दस साल से खाली वैक्यूम को अब तक भरा नहीं गया है। स्थाई कार्डियोलाजिस्ट नहीं होने से मरीजों को बाहर के अस्पतालों में रिफर किए जाने की सलाह दी जाती है। प्रबंध द्वारा एक कार्डियोलाजिस्ट दिल्ली और चार डाक्टर रायपुर के निजी अस्पताल से आउटसोर्स पर रखे गए हैं। दिल्ली के कार्डियोलाजिस्ट महीने में दो दिन के लिए दो बार यहां सेवाएं देते हैं। वहीं रायपुर के निजी अस्पताल के हृदयरोग विशेषज्ञ दिन में ही ओपीडी में बैठते हैं। बीएसपी का कोई स्थाई हदयरोग डाक्टर नहीं होने और रात में हदयरोग विशेषज्ञ नहीं होने से गंभीर मरीजों को इलाज नहीं हो पा रहा है। एटक के विनोद कुमार सोनी ने बताया कि बीएसपी का स्थायी कार्डियोलॉजिस्ट की नियुक्ति जरूरी है।
