एसआईआर की प्रासंगिकता पर विचार रखे विद्वान वक्ताओं ने
भिलाई : न्यूज़ 36 : इंदिरा गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय वैशाली नगर भिलाई में में पी एम उषा के अंतर्गत “भारतीय लोकतंत्र में राजनीतिक एवं सामाजिक स्थायित्व के लिए मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रासंगिकता” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
पीएम-उषा (प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान) का मुख्य उद्देश्य भारत में राज्य-संचालित उच्च शिक्षण संस्थानों में पहुंच, इक्विटी, जवाबदेही, सामर्थ्य और गुणवत्ता को बढ़ावा देकर उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है। 
प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो ( डॉ ) संजय तिवारी थे। विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉ सरिता कोल्हेकर( प्राध्यापक, शासकीय महाविद्यालय वारासिवनी, बालाघाट, मध्यप्रदेश), डॉ शकील हुसैन( प्राध्यापक, शास वी वाय टी स्नातकोत्तर महाविद्यालय दुर्ग) ,डॉ प्रमोद यादव(प्राध्यापक ,एस. आर.सी. सुराना कॉलेज दुर्ग), डॉ अमरनाथ शर्मा ( प्राध्यापक शासकीय महाविद्यालय बोरी) ,डॉ डी एन सूर्यवंशी ( सेवानिवृत्त प्राचार्य) तथा डॉ एल. एस. गजपाल (प्राध्यापक, पं रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय) उपस्थित थे।
जिन्होंने एस आई आर प्रक्रिया के विभिन्न पक्षों का विस्तार से विश्लेषण किया। अंतिम सत्र के मुख्य अतिथि भूपेन्द्र कुलदीप ( कुलसचिव, हेमचंद यादव विश्वविद्यालय,दुर्ग) थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ अलका मेश्राम ने की । संयोजक डॉ किरण रामटेके, पी एम उषा संयोजक डॉ संजय दास , सह संयोजक डॉ चांदनी मरकाम तथा आयोजन सचिव प्रो अमृतेष शुक्ला रहे। 2 सत्रों में विभिन्न शोध केंद्रों तथा महाविद्यालय से आए 18 शोधार्थी तथा प्राध्यापकों ने अपने शोध पत्र का वाचन किया जिसमें प्रो सुरेश ठाकुर ( जिला स्तर मास्टर ट्रेनर) तथा तथा गिरिजा शंकर साव ( डी एस पी, कांकेर नक्सल ऑपरेशन) प्रमुख रहे। अतिथियों द्वारा संगोष्ठी स्मारिका का विमोचन तथा प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।

इस संगोष्ठी में पूरे राज्य से 69 शोध सारांश प्राप्त हुए। मंच संचालन समिति सदस्य डॉ कैलाश शर्मा, डॉ रबिंदर छाबड़ा, कौशल्या शास्त्री , प्रो महेश अलेंद्र, डॉ चांदनी मरकाम , डॉ रामा बनर्जी ने मंच संचालन का दायित्व निर्वहन किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक, ग्रंथपाल, क्रीड़ाधिकारी, अन्य महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी तथा छात्र छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
