Wednesday, March 12, 2025

माहे रमजान में ‘तालीम के लिए जकात’ की मुहिम शुरू की ‘इकरा’ ने

जकात लेने वालों को देने वालों में बदलना मकसद, संवरेगा जरूरतमंद बच्चों का भविष्य 

भिलाई : न्यूज़ 36 : ट्विन सिटी दुर्ग-भिलाई में सक्रिय संगठन इकरा टीचर्स एसोसिएशन ने रमजान के महीने में जकात का हिस्सा तालीम के लिए लेने मुहिम शुरू की है। एसोसिएशन की ओर से इस रमजान माह में तालीम के लिए जकात देने लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। एसोसिएशन की सरपरस्त समीना फारुकी, सदर यास्मीन नाज और सचिव एयू खान का मानना है कि इसके जरिए जरूरतमंद बच्चों का भविष्य संवारने की कोशिशों को मजबूती मिलेगी।
गौरतलब है कि 2006 में ट्विन सिटी के कुछ जागरुक लोगों द्वारा शुरू की गई इकरा टीचर्स एसोसिएशन के जरिए शिक्षा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कार्य किया जा रहा है। पदाधिकारियों ने बताया कि उनका संगठन एक वक्फ जकात फाउंडेशन है, जो जरूरतमंद और गरीबों को प्राथमिक तकनीकी (आईटीआई) से लेकर उच्च स्तर तक की तकनीकी शिक्षा के लिए सहयोग करता है। इसके लिए जकात सबसे बड़ा जरिया है।

पदाधिकारियों के मुताबिक उनके संगठन का मकसद जकात लेने वालों को जकात देने वालों में बदलना है और इस मकसद में काफी हद तक कामयाबी भी मिल रही है। जिसमें एसोसिएशन के माध्यम से अब तक कई सौ जरूरतमंद बच्चों की पूरी फीस के भुगतान के साथ मदद की गई। इसके साथ ही हर वर्ष विभिन्न कक्षाओं के प्रावीण्यता प्राप्त होनहार बच्चों का सम्मान किया जाता है।
हाल ही में एसोसिएशन के सालाना आयोजन में अंचल के ऐसे 25 नौजवानों को खास तौर पर बुलाकर सम्मानित किया गया था, जिन्होंने इकरा टीचर्स एसोसिएशन की मदद से अपनी तालीम पूरी की और आज देश-विदेश में जॉब कर रहे हैं। ये सभी अब नई पीढ़ी के बच्चों का भविष्य संवारने अपना योगदान दे रहे हैं।
पदाधिकारियों ने बताया कि रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय अपनी आय का एक निश्चित हिस्सा जकात (दान) के लिए निकालता है। ऐसे में इकरा टीचर्स एसोसिएशन ऐसे सभी लोगों से तालीम के लिए जकात देने अपील कर रहा है। पदाधिकारियों का कहना है कि तालीम के लिए दी गई जकात से किसी जरूरतमंद बच्चे का भविष्य संवर सकता है, ऐसे में इसकी अहमियत को देखते हुए लोगों से संपर्क किया जा रहा है।
इकरा टीचर्स एसोसिएशन से शकील अहमद खान, गौसुल वरा खान, अजमेरी खान, शेख जाफर, श्रीमती शहनाज, सैयद जाफर, शायना परवीन, नसरीन नाज और कुमारी शहनाज सहित तमाम लोगों ने माहे रमजान में जकात का एक हिस्सा तालीम के लिए निकालने की अपील की है।

जानिए क्या है ज़कात और फ़ितरा और क्यों दिया जाता है रमजान में ?

मदरसा ताज उल उलूम, रुआबांधा के प्रिंसिपल मुफ्ती मुहम्मद शाहिद अली मिस्बाही ने बताया कि  जकात और फ़ितरा इस्लामिक दान हैं। ज़कात इस्लाम में फर्ज (अनिवार्य) है, जिसमें हैसियत मंद को अपनी संपत्ति का एक निश्चित हिस्सा (2.5 फीसदी) साल में एक बार जरूरतमंदों को देना अनिवार्य है। इसी तरह फितरा भी एक विशेष प्रकार का दान है जो रमजान महीने के अंत में ईद-उल-फितर की नमाज़ से पहले अदा किया जाना वाजिब है। जिसमें गेंहू, जौ, खजूर और किशमिश के मौजूदा बाजार मूल्य के हिसाब से 2 किलो 47 ग्राम की रकम परिवार के हर सदस्य की तरफ से दी जाती है। ज़कात-फितरा का मकसद गरीबों, यतीमों, विधवाओं, और अन्य जरूरतमंदों की मदद करना है। ज़कात देने से समाज में समृद्धि और आर्थिक समानता आती है। इसका उद्देश्य गरीबों और जरूरतमंदों को ईद के मौके पर खुशियां मनाने के लिए मदद प्रदान करना है।

खानकाह में बाबा भोला शाह का जन्मदिन और इफ्तार 13 को

सूफी संत बाबा भोला शफी शाह रहमतुल्लाह अलैहि के जन्मदिन के मौके पर सालाना इफ्तार का आयोजन 13 मार्च गुरुवार की शाम रखा गया है। नंदिनी एयरोड्रम के समीप ग्राम बीरेभाठ स्थित खानकाह (आश्रम) में रोजा इफ्तार के बाद नमाज होगी और इसके बाद शिजरा ख्वानी और फातिहा ख्वानी रखी गई। इसके साथ ही आम लंगर भी रखा गया है और दुआए खैर की जाएगी।

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