घर की लक्ष्मियों की भी की गयी विशेष पूजा-अर्चना
भिलाई : न्यूज़ 36 : हमारे त्यौहारों और पर्वों में दिखाई देती है हमारी संस्कृति। भारतीय पर्वों का अर्थ है सबको आपस में जोड़ने वाले। अनेक रूपा महालक्ष्मी का महापर्व दीपावली का इस रूप में भी विशेष महत्त्व है। माता, बहिन,बेटी और धर्म पत्नी आदि भी महालक्ष्मी के रूप हैं। महिला का अर्थ भी उत्सवधर्मिणी है। उनके सम्मान या सहयोग से ही दिवाली सफल रहती है। दिवाली के सार्थक और विशेष पूजा-अर्चना प्रसंग पर धर्म-संस्कृति मर्मज्ञ आचार्य डॉ.महेशचन्द्र शर्मा ने ये उद्गार व्यक्त किये। आचार्य डॉ.शर्मा ने पारिवारिक आवास शिवायनम् में मातृशक्ति पूजन और नारी सम्मान में ये बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में नारी शक्तियां दीपावली के लिये जागकर घर-ऑंगन को चमका देंती हैं तो ग्यारह दिन बाद देव उठनी को पुरुषोत्तम देवगण उठते हैं और हमारे यहां विवाह आदि शुभकार्य शुरू हो जाते हैं। दिवाली पर घर की लक्ष्मियों की पूजा जल,अक्षत, पुष्प एवं द्रव्य आदि चढ़ाकर की गयी। इस पावन प्रसंग पर श्रीमती सरला तिवारी, श्रीमती गौरी रजनी शर्मा, श्रीमती श्रद्धा दुबे , श्रीमती शर्मिष्ठा तिवारी एवं श्रीमती निकिता शर्मा आदि लक्ष्मी स्वरूपायें पूजा-अर्चना के बाद प्रसन्नचित्त दिखाई दीं। इस विशेष अवसर पर पं.वीरनारायण तिवारी, पं.दिव्यांशु दुबे, पं. प्रणय तिवारी, पं.शुभंकर शर्मा एवं पं.प्रियांशु दुबे आदि ने भी हर्ष व्यक्त किया। सभी ने यह अनुभव किया कि भारतवर्ष की हर नारी देवी की प्रतिमा और बच्चे-बच्चे राम हैं। बालक भगवान् पं.कुमार कार्तिकेय तिवारी उर्फ ‘किट्टू’ ने अपनी बाल लीलाओं के वात्सल्य रस में सराबोर कर दिया।