दुर्ग : न्यूज़ 36 : दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की खरसिया–नया रायपुर–परमलकसा रेल परियोजना को लेकर दुर्ग और पाटन ब्लॉक के किसानों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। मंगलवार को दर्जनों गांवों के प्रभावित किसानों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया का विरोध किया। किसानों ने साफ कहा कि वे अपनी पुश्तैनी कृषि भूमि किसी भी कीमत पर नहीं देंगे।
भूमि प्रतिबंध आदेश पर आपत्ति
किसानों ने प्रशासन पर मनमानी और अपारदर्शिता का आरोप लगाते हुए 20 अगस्त 2025 को जारी भूमि प्रतिबंध आदेश को तत्काल निरस्त करने की मांग की। इस आदेश के तहत प्रभावित ग्रामों की भूमि पर खाता विभाजन, अंतरण, व्यपवर्तन और खरीदी-बिक्री पर रोक लगाई गई है।
20 से अधिक गांवों के किसानों ने किया हस्ताक्षर
ज्ञापन में रेल परियोजना प्रभावित किसान संघर्ष समिति तथा दुर्ग-पाटन विकासखंड के 20 से अधिक गांवों के किसानों के हस्ताक्षर हैं। इनमें घुघसीडीह, खोपली, बोरिगारका, पुरई, कोकड़ी, कोड़िया, भानपुरी, चंद्रखुरी, कोनारी, चंगोरी, बिरेझर, थनौद, पाउवारा, ठकुराईनटोला, बठेना, देमार, अरसनारा, नवागांव, देवादा, सांतरा, मानिकचौरी, बोहारडीह, फेकारी और धौराभाठा जैसे गांव शामिल हैं।
संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप
किसानों ने ज्ञापन में कहा कि 20 अगस्त को जारी आदेश “एकतरफा, गैरकानूनी और बिना ग्रामसभा की सहमति” के जारी किया गया है, जो उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। रविवार को ग्राम कोड़िया स्थित गायत्री मंदिर परिसर में सैकड़ों किसानों की बैठक हुई, जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि वे अपनी कृषि भूमि परियोजना के लिए नहीं देंगे।
आजीविका और अस्तित्व का आधार जमीन
किसानों ने कहा कि यही भूमि उनकी आजीविका और अस्तित्व का आधार है। उन्होंने आरोप लगाया कि अब तक परियोजना का एलाइनमेंट, मुआवजा नीति और पुनर्वास योजना के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है।
सर्वेक्षण पर सवाल, पारदर्शिता की मांग
किसानों ने प्रशासन से पूछा कि सर्वेक्षण किस एजेंसी ने, किस अवधि में और किस आदेश पर किया। उन्होंने सर्वेक्षण दस्तावेज, परियोजना मानचित्र और शासनादेश की प्रमाणित प्रतियां सार्वजनिक करने की मांग की। जब तक परियोजना की जानकारी स्पष्ट नहीं होती और प्रभावितों की सहमति नहीं ली जाती, तब तक भूमि अधिग्रहण स्वीकार नहीं किया जाएगा।
प्रशासन का पक्ष
दुर्ग एसडीएम हितेश पिस्दा ने कहा कि प्रभावित किसानों ने अपनी आपत्तियां प्रस्तुत की हैं, जिन पर नियमानुसार विचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि संयुक्त सर्वेक्षण जारी है और सर्वे पूर्ण होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। रेलवे का एलाइनमेंट नक्शा प्रशासन को प्राप्त हो चुका है, और सर्वे दल प्रभावित ग्रामों में कार्य कर रहा है।
आंदोलन की चेतावनी
किसान नेता ढालेश साहू ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने प्रतिबंध आदेश वापस नहीं लिया और पारदर्शी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई, तो किसान आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा,
“हम विकास के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन विकास किसानों की कीमत पर नहीं होना चाहिए।”
