Saturday, September 21, 2024

दुर्ग शहर में निगम की बाकलीवाल सरकार में हुए काफी बदलाव, क्या जिम्मेदार अधिकारियों की मनमानी ने की जनप्रतिनिधि की छवि खराब

दुर्ग निगम का आधार स्तम्भ है बाजार विभाग और स्वास्थ्य विभाग
दुर्ग : न्यूज़ 36: दुर्ग नगर पालिक निगम के कार्यक्षेत्र की बात करें तो दुर्ग नगर पालिक निगम में दो विभाग ऐसे महत्वपूर्ण विभाग हैं जिनके कार्य प्रणाली से जनप्रतिनिधियों की छवि बनती भी है और बिगड़ती भी है . यह दो विभाग बाजार विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग आते हैं स्वास्थ्य विभाग में शहर की साफ सफाई की व्यवस्था की प्रमुख जिम्मेदारी होती है वहीं बाजार विभाग की सक्रियता से निगम क्षेत्र स्थित एवं सुगम यातायात से आम जनता के दिलो में सरकार के प्रति अपने मनोदशा को दर्शाता है . चुनाव पूर्व कुछ ऐसा माहौल बना था जो यह दर्शा रहा था कि शहर की बाजार विभाग व्यवस्था और स्वास्थ्य विभाग व्यवस्था में तात्कालिक विधायक अरुण वोरा का हस्तक्षेप होने के कारण शहरी व्यवस्था बिगड़ी हुई है .
परंतु अगर वर्तमान रूप से तथ्यात्मक स्थिति देखें तो अक्टूबर माह से आचार संहिता लगने के बाद से शहर की यह महत्वपूर्ण व्यवस्था विभागीय अधिकारियों के जिम्मे रही परंतु पिछले दिनों जैसा देखा गया कि लगातार अतिक्रमण पर कार्यवाही कर निगम प्रशासन यह दर्शाना चाहती थी कि उनके द्वारा शहर को साफ रखा जा रहा है किंतु यह कार्यवाही भी सिर्फ दिखावा साबित हुई वर्तमान समय में शहर में अतिक्रमण का जाल फिर बन गया . वही स्वास्थ्य विभाग की बात करें तो वर्तमान समय में भी स्वास्थ्य विभाग की निष्क्रियता ही कहीं जाए जिसके कारण शहर में जगह-जगह गंदगी देखने को मिल जाती है आज शहर में अगर इन दोनों विभागों में बारीकी से निरीक्षण किया जाए तो ऐसा कोई सुधार देखने को नहीं मिला जिससे यह तो स्पष्ट नजर आ रहा कि जनप्रतिनिधियों का हस्तक्षेप की बात सिर्फ दिखावा मात्र था .बाजार विभाग गरीबों की गुमटियां तोडऩे में तो आगे आ जाता है किंतु आज उनके स्वयं की संपत्ति पर जो कि वर्तमान स्थिति में बाजार मूल्य में विक्रय किया जाए तो लाखों रुपए का होता है ऐसे भवन पर अवैध रूप से कब्जा कर व्यापार कर रहे व्यापारी पर कार्यवाही न करना और निगम के भवन को कब्जा मुक्त न करना दुर्ग निगम के बाजार विभाग की निष्क्रियता की तरफ साफ-साफ इशारा कर रहा है . वहीं बाजार विभाग द्वारा इस तरह की निष्क्रियता की जानकारी वर्तमान आयुक्त लोकेश चंद्राकर को भी है बावजूद इसके आयुक्त लोकेश द्वारा मामले में गंभीरता पूर्वक संज्ञान ना लेना कहीं ना कहीं निगम प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान पैदा कर रहा है .
पोस्टर मामले में किस तरह से त्वरित कार्यवाही हुई और किस तरह से एक ही दिन में विज्ञापन एजेंसी को नोटिस जारी कर एवं निलंबित करने का खेल अधिकारियों द्वारा खेला गया यह सभी को ज्ञात है परंतु इंदिरा मार्केट में अपने स्वयं के भवन को खाली न करना अब आम जनता के बीच यह चर्चा का विषय बन गया है कि लाखों की दुकान पर अवैध कब्जाधारी के ऊपर कार्यवाही न करना कहीं ना कहीं किसी बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है .
खस्ताहाल अर्थव्यवस्था के बावजूद स्वास्थ्य विभाग निकाल रहा लाखो की निविदा ….
कुछ साल ही पहले तात्कालिक आयुक्त इंद्रजीत बर्मन द्वारा शहर की साफ सफाई व्यवस्था को दुरुस्त किया गया था एवं सालों से चली जा रही नालों की सफाई के मामले में निगम के लाखों रुपए की निविदा ना निकल कर निगम के सफाई मित्रों द्वारा ही पूरे शहर के नालों की सफाई उच्च स्तर पर की गई जिसकी प्रशंसा पार्टीगत नीतियों से ऊपर उठकर सभी पार्षद गण एवं शहर की जनता ने की थी परंतु एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग द्वारा नालों की सफाई के लिए लाखों रुपए की निविदा निकाल कर सफाई का कार्य करवाया गया और कितनी सफाई किस स्तर पर हुई यह भी शहर की जनता ने भली-भांति देखा.
स्वास्थ्य विभाग के सफाई मित्रों के कार्यों में गंभीरता और सक्रियता लाने के लिए तात्कालिक आयुक्त इंद्रजीत बर्मन द्वारा कार्यों के दौरान दो से तीन बार उपस्थित का प्रावधान किया गया था जिसके कारण प्रत्येक कर्मचारी तय समय पर कार्य को अंजाम दे रहे थे परंतु इस पद्धति को बंद कर एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग द्वारा पुरानी पद्धति इस्तेमाल कर कार्य में जो सक्रियता थी उसे कहीं ना कहीं कम कर ही दिया गया .
 मनपसंद समूह को कार्य देने में आगे रहा स्वास्थ्य विभाग …
स्वास्थ्य विभाग का शहर भर में निगम के अधीन आने वाले शौचालय में स्वच्छता श्रृंगार के तहत प्रत्येक शौचालय को 15-15 हजार प्रति माह देने का प्रावधान है इस कार्य में भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक ही समूह को चार-चार ,पांच-पांच शौचालय प्रदान कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया इसे विभागीय गलती इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि पिछले चार महीना से दुर्ग नगर पालिक निगम क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों का हस्तक्षेप शून्य के बराबर है परंतु स्थिति जस की तस बनी हुई है जिसके कारण शहर में चर्चा का यह विषय है कि पूर्व में जिस तरह हर भ्रष्टाचार के मामले पर बात को जनप्रतिनिधियों की तरफ कर देने की बात कहीं ना कहीं गलत ही साबित हो रही है पिछले चार महीनो में अगर बाजार विभाग और स्वास्थ्य विभाग की स्थिति देखें तो कई निविदा और ठेका मामले में बाजार विभाग और स्वास्थ्य विभाग की कार्यवाही पक्षपात पूर्ण रही है किसी मामले में कार्यवाही एक दो दिनों में कर दी जाती है तो कई-कई मामलों में कार्यवाही के लिए महीनो मामले को टाला जाता रहा । पार्किंग निविदा हो , रेन बसेरा आबंटन हो , सफाई के लिए काम आने वाले सामानों के आवश्यकताओं की निविदा हो , शहर में लगने वाले फ्लेक्स बैनर लगाने वाली एजेंसियों में कार्यवाही की बात हो किसी-किसी मामले में कार्यवाही को 24 घंटे में अंजाम दे दिया जाता है तो किसी-किसी मामले में कार्यवाही को महीना टाला जाता है ।
महापौर बाकलीवाल और शहरी सरकार को उठाने होंगे सख्त कदम …
चूँकि दुर्ग विधानसभा क्षेत्र और दुर्ग नगर पालिका निगम क्षेत्र एक दूसरे के समकक्ष हैं ऐसे में पूर्व में हुई लापरवाही का जिम्मेदार आम जनता ने तात्कालिक विधायक अरुण वोरा को माना और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी विधायक अरुण वोरा को सिरे से नकार दिया . अब एक बार फिर आने वाले कुछ महीनो में नगरी निकाय चुनाव होने वाले हैं ऐसे में भी अगर व्यवस्था इसी तरह से लचीली रही तो कोई बड़ी बात नहीं की आने वाले समय में कांग्रेसी पार्षद के ऊपर ही यह गाज गिरेगी और शहर की कांग्रेस की सरकार पर इल्जाम आएगा और शहर को बदलने की जो कोशिश बाकलीवाल सरकार ने की जो उपलब्धियां बाकलीवाल सरकार की थी वह सब अंधेरों में कहीं गुम हो जाएगी तथा एक बार फिर विभागीय अधिकारियों की लापरवाही का अंजाम जनप्रतिनिधि को बड़ी और शर्मनाक हार के साथ चुकाना होगा .
देखना यह है कि बचे हुए समय में दुर्ग शहर की बाकलीवाल सरकार विभाग की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए अपना पूरा प्रयत्न पूरा जोर लगाती है या फिर शहर में हुए विकास कार्यो के बावजूद भी शहर की कांग्रेस सरकार को विधानसभा चुनाव जैसी बड़ी हार का सामना करना पड़ेगा ।
आम जनता सहित कई पार्षदों में यह भी चर्चा का विषय है कि अगर महापौर धीरज बाकलीवाल और उनके मंत्रिमंडल समय रहते कड़े फैसले नहीं लेंगे तो आने वाले नगरी निकाय चुनाव में कांग्रेस का सुपड़ा दुर्ग नगर निगम क्षेत्र से साफ हो जाएगा वक्त अब कड़े फैसले लेने का है जिसके लिए प्रयास भी शहरी सरकार के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों को करना है अगर अब भी ना सुधरे तो आने वाला समय कांग्रेस के लिए ही ज्यादा बुरा होगा और महापौर बाकलीवाल दुर्ग शहर के सबसे ज्यादा निष्क्रिय महापौर की गिनती में शुमार हो जायेंगे .

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