जिला न्यायाधीश डॉ प्रज्ञा पचौरी ने लोक अदालत का किया शुभारंभ
दुर्ग : न्यूज़ 36 : छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के मार्गदर्शन में तथा डॉक्टर प्रज्ञा पचौरी प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दूर्ग के निर्देशन में वर्ष 2024 के चतुर्थ एवं अंतिम नेशनल लोक अदालत का आयोजन शनिवार को किया गया। इस लोक अदालत में कुल 4400 15 मामले निराकृत हुए तथा अवार्ड राशि 35147045 8 रुपये रही।
नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ जिला न्यायाधीश डॉ प्रज्ञा पचौरी ने किया। इस दौरान श्रीमती गिरिजा देवी मेरावी ,प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय दुर्ग, जिला अधिवक्ता संघ दुर्ग की अध्यक्ष नीता जैन एवं अन्य पदाधिकारी गण, न्यायाधीशगण आदि उपस्थित थे। इस नेशनल लोक अदालत में राजीनामा योग्य दांडिक, सिविल, परिवार ,मोटर दुर्घटना दावा से संबंधित प्रकरण रखे गए तथा उनका निराकरण आपसी सुलह, समझौते के आधार पर किया गया है। इसके अलावा बैंकिंग, वित्तीय संस्था, विद्युत एवं दूरसंचार से संबंधित प्री लिटिगेशन प्रकरणों का निराकरण भी किया गया इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी दुर्ग के सहयोग से जिला न्यायालय परिसर में आने वाले पक्षकारों के स्वास्थ्य जांच परीक्षण के लिए एक दिवसीय निशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन भी किया गया था।35 खंडपीठ का किया गया था गठन
नेशनल लोक अदालत में कुल 35 खंडपीठ का गठन किया गया था। परिवार न्यायालय दुर्ग के लिए तीन खंडपीठ, जिला न्यायालय दुर्ग के लिए 27, तहसील व्यवहार न्यायालय भिलाई तीन में एक खंडपीठ, तहसील व्यवहार न्यायालय पाटन के लिए एक खंडपीठ, तहसील व्यवहार न्यायालय धमधा में एक खंडपीठ, किशोर न्याय बोर्ड के लिए एक तथा स्थाई लोक अदालत दुर्ग के लिए एक खंडपीठ का गठन किया गया था। इसके अतिरिक्त राजस्व न्यायालय में भी प्रकरण के निराकरण के लिए खंडपीठ का गठन किया गया था।
18596 न्यायालयीन प्रकरण हुए निराकृत
इस वर्ष की चतुर्थ एवं अंतिम नेशनल लोक अदालत मे कुल 18596 न्यायालयीन प्रकरण तथा कुल 421419 प्री लिटिगेशन प्रकरण निराकृत हुए जिसमें कुल समझौता राशि 35,14,70,458 रुपए रही। इसमें बैंक के प्री लिटिगेशन के कुल 46 ,विद्युत के कुल 329, बीएसएनएल के 97 मामले निराकृत हुए। जिसमें कुल समझौता राशि लगभग 62,44,074 रुपए रही। इसी तरह लंबित निराकृत हुए प्रकरण में 773 डांडिक प्रकरण, क्लेम के 63 प्रकरण, पारिवारिक मामले के 128, चेक अनादरण के 1021 मामले, व्यवहारवाद के 42 मामले, श्रम न्यायालय के कुल 57 मामले तथा स्थाई लोक अदालत जनो उपयोगी सेवाएं के कुल 3004 मामले निराकृत हुए।
पति के मृत्यु उपरांत मोटर दुर्घटना दावा के तहत मिली क्षतिपूर्ति
पीठासीन अधिकारी शेख अशरफ के खंडपीठ में श्रीमती आर भाग्यलक्ष्मी तथा अन्य विरुद्ध उत्तम साहू व अन्य के मामले में मृतक आर कोटेश्वर की मृत्यु के परिणाम स्वरुप क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करने आवेदन प्रस्तुत किया गया था। जिसमें नेशनल इंश्योरेंस बीमा कंपनी एवं आवेदक के मध्य राजीनामा होने से मामला समाप्त हुआ। जिसके फलस्वरुप 60 लाख रुपए की राशि का क्षतिपूर्ति अवार्ड पारित किया गया तथा आवेदक को उक्त राशि का चेक भी प्रदान किया गया।पड़ोसियों के बीच स्थापित हुए मधुर संबंध
एक मामले में अभियुक्त गण राजेश एवं दुर्गेश दोनों की पड़ोसी प्रार्थिया मीना सोनी है जिसकी किराने की दुकान है। उक्त दुकान बंद होने के उपरांत शराब के नशे में आकर प्रार्थिया से गाली गलौज करने लगे तथा दुकान खोलकर सामान देने की जिद करने लगे थे। इस पर मीणा द्वारा थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उक्त मामले को आज नेशनल लोक अदालत में रखा गया था। जिसमें समझाइश देने के बाद अभियुक्त गण एवं प्रार्थिया दोनों के द्वारा आपसी राजा राजीनामा कर पुन: मधुर संबंध स्थापित हुए।
देवर-ननंद- भाभी के मध्य का मनमुटाव हुआ दूर
पीठासीन अधिकारी सुश्री पायल टोप्पो के न्यायालय में प्रार्थिया शिफा बानो के घर कागज मांगने आई। उनकी ननंद एवं देवर के द्वारा प्रत्यय से मारपीट एवं गाली गलौज किया गया था। आपराधिक मामला दर्ज होने से न्यायालय में के समक्ष प्रकरण प्रस्तुत होने पर समझाइश दी गई। रिश्तेदारों ने आपस में राजीनामा करते हुए मनमुटाव को दूर किया।
दांपत्य जीवन फिर से हुआ खुशहाल
एक प्रकरण में आवेदिका अपने एवं अपने अल्प आयु बच्चों के लिए अनावेदक पति के विरुद्ध भरण पोषण का मामला प्रस्तुत किया था। आवेदिका एवं अनावेदक का विवाह 29 जून 2012 को हिंदू रीति रिवाज से संपन्न हुआ था। दोनों के एक पुत्री एवं एक पुत्र हुआ था। वर्तमान में बच्चे आवेदिका के साथ रह रहे थे। आवेदिका के गर्भवती होने पर अनावेदक पति अपनी पत्नी को मायके में छोड़कर ठेकेदारी करने के लिए केरल चला गया था। पति शराब पीकर कभी भी मायके आकर आवेदिका से मारपीट कर उसे प्रताड़ित करता था। आवेदिका बच्चों के भविष्य को देखते हुए सब कुछ सहन कर रही थी। बाद में उसने भरण पोषण का मामला कुटुंब न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था। इस पर पीठासीन अधिकारी श्रीमती गिरिजा देवी मेरावी द्वारा समझाइश दिये जाने के बाद दोनों भी आपसी सहमति के तहत हंसी खुशी मिलकर घर चले गए। इस तरह से पुराना मामला सुलझा।