Sunday, September 8, 2024

आयुक्त चंद्राकार की निष्क्रियता !फूड जोन में बंदरबाट , अतिक्रमण से शहर बेहाल,दुर्ग निगम में बड़ा भ्रष्टाचार…

दुर्ग: दुर्ग नगर पालिक निगम की वर्तमान कार्यप्रणाली पर अगर नज़र डाली जाए तो वर्तमान समय में दुर्ग के प्रमुख मार्गो में अतिक्रमण की भरमार नजर आएगी ।

कुछ महीनो पहले जिला कलेक्टर पुष्पेंद्र मीणा ने सड़क पर व्यापार करने वाले स्ट्रीट वेंडर के लिए रविशंकर स्टेडियम एवम जिला अस्पताल पर सुव्यवस्थित तरीके से फूड जोन का निर्माण कर स्ट्रीट वेंडरों को व्यवस्थापित करने की पहल की गई थी और इस कार्य की जिम्मेदारी नगर पालिक निगम दुर्ग को दी गई किंतु दुर्ग निगम की कार्यप्रणाली इस कार्य में भी भ्रष्टाचार से लिप्त हो गई

आज भी स्ट्रीट वेंडर सड़को पर दुकान लगाकर व्यापार कर रहे हैं और आम जनता सड़कों पर व्यापार होने के कारण कही न कही परेशानियों से दो चार हो रही । कई स्ट्रीट वेंडरों से चर्चा में यह जानकारी प्राप्त हुई की सर्वे में उनके नाम का सर्वे ही नही हुआ और जिन लोगो को शॉप मिला है

वो भी आज सड़कों पर व्यापार कर रहे वही फूड जोन में मिली दुकान को या किराया दे रहे या तो बेच रहे वही निगम आयुक्त चंद्राकर जिनके ऊपर जिला कलेक्टर ने स्ट्रीट वेंडरों को व्यवस्थापित करने की जिम्मेदारी दी थी मौन बैठे है ।

दुकान बनाने व व्यवस्थापित की जिम्मेदारी जिस निगम को थी उनके द्वारा दुकानें तो बना दी गई किंतु जिस उद्देश्य से जिला कलेक्टर ने दुकान बनवाई थी उस उद्देश्य को पूरा करने में दुर्ग निगम प्रशासन और आयुक्त चंद्राकर कही न कही असफल ही हुए परिणाम यह रहा कि फूड जोन की योजना में सस्ते में दुकान लेने वाले इसका खुलकर क्रय विक्रय का खेल कर रहे और निगम दुर्ग मामले में मौन साधे बैठा है ।
आयुक्त चंद्राकर की निष्क्रियता से शहर बदहाल ..

निगम के प्रशासनिक मुखिया होने के नाते प्रशासनिक शक्तियों के बावजूद दुर्ग निगम क्षेत्र में सड़को पर अतिक्रमण लगातार बढ़ रहा है वही अवैधानिक रूप से दुकानें लगने का मामला भी पिछले दिनों देखने को मिला जब दीपावली के समय समृद्धि बाजार में खुले आम बिना अनुमति फटाखे की दुकान चार दिन पहले ही खुल गई की किंतु जानकारी के बाद भी निगम प्रशासन मौन रहा वही इंदिरा मार्केट में पुलिस सहायता केंद्र पर अवैध रूप से दुकान खुलने की जानकारी के बाद भी आयुक्त का मौन रहना कार्यवाही न करना कई प्रकार के संदेहों को जन्म देता है ।

गौठान में भी फर्जी तरीके से उधार के जानवर के साथ समूह का संचालन पर जानकारी और अन्य समूहों की मौखिक शिकायत के बाद भी निगम आयुक्त क्यों मौन है समझ से परे है ऐसे कई मामले है जो शहर में खुलेआम अवैधानिक रूप से संचालित हो रहे किंतु प्रशानिक मुखिया की निष्क्रियता का परिणाम सभी अवैधानिक कार्य वाले स्थापित है शायद उन्हें भी अहसास हो गया कि प्रशासनिक मुखिया की निष्क्रियता ही उनके लिए फायदेमंद है ।

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