Tuesday, October 14, 2025

भारतमाला परियोजना घोटाला,अधिग्रहित जमीन का दोबारा मुआवजा और भुगतान भी

सरकार को 32 करोड़ का आर्थिक नुकसान, एसीबी ने प्रस्तुत किया चालान

रायपुर : न्यूज़ 36 : भारतमाला सड़क परियोजना घोटाला केस में ईओडब्ल्यू-एसीबी ने सोमवार विशेष अदालत में चालान पेश किए। जांच एजेंसी ने खुलासा किया कि जलाशय के लिए पूर्व अधिग्रहित जमीन का फिर राजस्व अफसरों ने मुआवजा प्रकरण बनाया गया, और भुगतान किया गया। यही नहीं, प्रभावित गांवों में फर्जी बंटवारा, और नामांतरण कर अधिक मुआवजा प्रकरण बनाकर सरकार को 32 करोड़ का आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया है।

भारतमाला परियोजना से संबंधित मुआवजा राशि घोटाले के अपराध क्रमांक 30/2025 में, 13 अक्टूबर 2025 को लोक सेवक अभियुक्तगण गोपाल राम वर्मा, नरेन्द्र कुमार नायक तथा अन्य निजी व्यक्ति अभियुक्तगण उमा तिवारी, केदार तिवारी, हरमीत सिंह खनूजा, विजय कुमार जैन, खेमराज कोशले, पुनुराम देशलहरे, भोजराम साहू एवं कुंदन बघेल के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 467, 468, 471, 420, 409, 120-वी तथा भ्राष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (यथा संशोधित भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2018) की धारा 7 (सी) एवं 12 के अंतर्गत विशेष न्यायालय (भ्र.नि.अ.) रायपुर में लगभग 7,500 पृष्ठों का प्रथम अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया है।

इस चालान में निम्न मामलों की विवेचना की गई है :

(1) रायपुर भारतमाला परियोजना (रायपुर-विशाखापट्टनम सड़क निर्माण) अंतर्गत प्रभावित ग्रामों में से ग्राम नायकबांधा, ग्राम टोकरी एवं ग्राम उरला की भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में बैक डेट में बटांकन और नामांतरण की अनियमितताओं की जांच की गई है, जिसमें राजस्व अधिकारियों और दलालों की मिलीभगत से फर्जी चंटवारा एवं नामांतरण कर अधिक मुआवज़ा प्राप्त किए जाने का प्रकरण सम्मिलित है।

(2) नायकबांधा जलाशय से संबंधित पूर्व अधिग्रहित भूमि का पुनः मुआवजा भुगतान करने का प्रकरण, तथा

(3) उमा तिवारी के नाम पर फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से भूमि का नामांतरण कर मुआवज़ा प्राप्त करने का प्रकरण।

प्रथम प्रकरण में विवेचना से यह स्पष्ट हुआ कि राजस्व अधिकारियों और दलालों की मिलीभगत से चेक डेट में फर्जी दस्तावेज तैयार कर भूमि का बंटवारा व नामांतरण करवाया गया तथा इन फर्जी दाखिलों के आधार पर अधिक मुआवज़ा प्राप्त किया गया, जिससे शासन को लगभग ₹28 करोड़ का प्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान हुआ। द्वितीय प्रकरण (नायकबांधा जलाशय) में यह पाया गया कि पहले से अधिग्रहित भूमि के संबंध में अनुचित रूप से पुनः मुआवज़ा भुगतान कर शासन को ₹2 करोड़ से अधिक की हानि पहुंचाई गई। तृतीय प्रकरण में उमा तिवारी के माध्यम से फर्जी दस्तावेजों द्वारा नामांतरण कर मुआवज़ा प्राप्त किए जाने से शासन को लगभग ₹2 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। इन तीनों प्रकरणों के संबंध में साक्ष्य इस चालान में संकलित किए गए हैं, और इनके एकीकृत अध्ययन के आधार पर यह आकलन किया गया है कि उपर्युक्त कृत्यों से शासन को कुल मिलाकर लगभग ₹32 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष आर्थिक नुकसान हुआ है।

जांच में यह भी स्थापित हुआ कि राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों ने प्राइवेट दलाल हरमीत सिंह खनूजा एवं उसके सहयोगियों के साथ मिलकर किसानों को “अधिक मुआवज़ा दिलवाने का प्रलोभन दिया। इन दलालों ने राजस्व अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर किसानों के नाम से बैक डेट में फर्जी बंटवारे एवं नामांतरण तैयार कराए, किसानों से कोरे चेक एवं आरटीजीएस प्रपत्रों पर हस्ताक्षर करवाए और प्राप्त मुआवजे की राशि का बड़ा भाग अपने तथा अपनी सहयोगी फर्मों के खातों में ट्रांसफर करवा लिया।

समानांतर रूप से नायकबांधा जलाशय से संबंधित जल संसाधन उपसंभाग के मामलों में तत्कालीन अधिकारी नरेन्द्र नायक्त और गोपाल वर्मा ने अन्य सह-अभियुक्तों (जिनके विरुद्ध विवेचना जारी है) के साथ मिलकर डूबान क्षेत्र से जुड़े पूर्व अधिग्रहण अभिलेखों को दबाया तथा मिथ्या प्रतिवेदन तैयार किये। इन कार्यों से शासन को करोड़ों रुपये की प्रत्यक्ष आर्थिक क्षति हुई और प्रभावित किसानों को उनके वैध हक से वंचित किया गया। इसके अतिरिक्त अन्य संबंधित राजस्व एवं तकनीकी अधिकारीगण द्वारा भी अधिग्रहण से संबंधित अभिलेखों में हेराफेरी तथा वास्तविक स्थिति छिपाने जैसी अनियमितताएं की गयीं, जिससे आपराधिक षड्यंत्र और अधिक सुदृढ़ हुआ।

विवेचना के दौरान राजस्व अधिकारी अभियुक्तगण निर्भय साहू (तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व, अभनपुर), दिनेश पटेल (हल्का पटवारी), रोशन लाल वर्मा (राजस्व निरीक्षक), शशिकांत कुरें (तत्कालीन तहसीलदार), जितेन्द्र साहू (तत्कालीन हल्का पटवारी क्रमांक 49, नायकबांधा), बसंती घृतलहरे (तत्कालीन पटवारी), लखेश्वर प्रसाद किरण (तत्कालीन नायब तहसीलदार, गोबरा नवापारा) तथा लेखराम देवांगन (पटवारी) के निरंतर फरार रहने और न्यायालय से राहत मिलने उपरांत विवेचना में सहयोग न करने से आपराधिक षड्यंत्र, पद के दुरुपयोग एवं अवैध लाभ से संबंधित साक्ष्य संकलन प्रभावित रहा है, अतः इनके विरुद्ध अग्रिम विवेचना जारी है और उनकी भूमिका के संबंध में पृथक चालान प्रस्तुत किया जाएगा।

वर्तमान में प्रकरण से संबंधित बड़ी मात्रा में दस्तावेजों का परीक्षण एवं विश्लेषण किया जा रहा है ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि शासन के साथ कुल मिलाकर कितनी वित्तीय धोखाधड़ी हुई, तथा किन-किन अन्य अधिकारियों एवं दलालों की संलिप्तता रही। जिन मामलों में अब तक विवेचना पूर्ण हो चुकी है, उन्हें इस प्रथम चालान के रूप में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।

परियोजना के अन्य ग्रामों में भी भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में हुई अनियमितताओं की विस्तृत जांच जारी है, जिनमें हरमीत सिंह खनूजा एवं अन्य आरोपियों की संलिप्तता पुनः प्रकाश में आई है। आरोपियों द्वारा अलग-अलग तरीकों से अनियमितताएँ की गई हैं, जिनमें बैंक डेट में बंटवारा और नामांतरण एक तरीका पाया गया है। प्रकरण में अग्रिम विवेचना जारी है।

आप की राय

[yop_poll id="1"]

Latest news
Related news