लोककलाकार रिखी की 45 साल की खोजयात्रा की झलक दिखेगी ‘छत्तीसगढ़ के लोकवाद्य’ मे
भिलाई : न्यूज़ 36 : प्रख्यात लोकवाद्य संग्राहक रिखी क्षत्रिय की 4.5 दशक की मेहनत रंग लाई है। वर्षों से तत्कालीन मध्यप्रदेश और मौजूदा छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल में घूम-घूम कर दुर्लभ लोकवाद्यों का संग्रह कर रहे रिखी क्षत्रिय ने इनकी पूरी जानकारी अब किताब के स्वरूप में शोधार्थियों और पाठकों के लिए उपलब्ध करा दी है। रिखी क्षत्रिय और उनकी पत्नी अन्नपूर्णा क्षत्रिय ने अपनी खोजयात्रा और शोध के उपरांत ‘छत्तीसगढ़ के लोकवाद्य’ शीर्षक से किताब को अंतिम रूप दिया है।
इस किताब में 150 से ज्यादा दुर्लभ वाद्यों से संबंधित सारी जानकारियों का दस्तावेजीकरण किया गया है। यह किताब जल्द ही शोधार्थियों और पाठकों के लिए उपलब्ध होने जा रही है। इससे पहले 4 जून की शाम राजधानी रायपुर में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने अपने कार्यालय में एक संक्षिप्त समारोह में इस किताब का विमोचन किया।
डॉ. रमन ने रिखी-अन्नपूर्णा क्षत्रिय दंपति की इस पहल की तारीफ करते हुए कहा कि इससे निश्चित रूप से छत्तीसगढ़ के दुर्लभ वाद्य और इनमें समाहित संस्कृति से देश और दुनिया रूबरू होगी। डॉ. रमन ने कहा कि अब तक रिखी क्षत्रिय के इन दुर्लभ लोकवाद्य संग्रह को देश के राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई हस्तियां देख चुकी हैं और वह स्वयं भी रिखी क्षत्रिय के इस समर्पण के प्रशंसक रहे हैं। डॉ. रमन ने उम्मीद जताई कि रिखी भविष्य में और भी दुर्लभतम लोकवाद्यों से देश और दुनिया को रूबरू कराएंगे।
इस संदर्भ में प्रेस कान्फ्रेंस में रिखी क्षत्रिय ने बताया कि युवावस्था से ही उन्होंने दुर्लभ लोकवाद्यों का संग्रह शुरू कर दिया था फिर भिलाई इस्पात संयंत्र की सेवा के दौरान भी यह शौक जुनून में बदलता गया। जिसके चलते अब उनके पास 200 से ज्यादा दुर्लभ लोकवाद्य का संग्रह है।
कुहूकी कला ग्राम मरोदा सेक्टर निवासी रिखी क्षत्रिय ने अपने संग्रह पर आधारित किताब की जरूरत पर कहा कि हमारी आज की पीढ़ी लोकवाद्यों के प्रति विमुख होते जा रही है, ऐसे में आने वाली पीढ़ी को हमारे प्रकृति प्रदत्त लोकवाद्यों और इनकी उत्पत्ति की जानकारी मिलना मुश्किल हो जाएगी।
आज की पीढ़ी को इन लोकवाद्यों के बारे में बताना जरूरी है कि इनका निर्माण कैसे हुआ, हमारे पूर्वज इनका निर्माण, वादन किस लिए करते थे? मनोरंजन के लिए या अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए, यह भी बताना जरूरी है। आदि मानव को वाद्य यंत्र निर्माण करने की प्रेरणा कहाँ से मिली?
रिखी क्षत्रिय का कहना है कि इन दुर्लभ लोकवाद्यों को जनसामान्य के बीच लाने के उद्देश्य से उन्होंने शोध आधारित यह किताब लिखी है। जिससे हमारे आदिवासी अंचल के इन लोकवाद्यों का पूरा इतिहास तथ्यपरक जानकारियों के साथ समाहित करने का प्रयास किया गया है। इनके साथ ही एक ही लोकवाद्य के अलग-अलग अवसर पर अलग –अलग प्रकार को भी सविस्तार और फोटोग्राफ्स सहित बताया गया है। उन्होंने बताया कि शोधार्थियों और आम पाठकों के लिए यह किताब जल्द ही उपलब्ध होगी।
‘छत्तीसगढ़ के लोकवाद्य’ किताब के विमोचन के अवसर पर लेखक दंपति रिखी क्षत्रिय-अन्नपूर्णा क्षत्रिय के साथ साहित्य अकादमी छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष शशांक शर्मा, डॉ. शशिप्रिया उपाध्याय,अभिषेक उपाध्याय और लेखक दुर्गा प्रसाद पारकर सहित अन्य लोग मौजूद थे।
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रिखी क्षत्रिय का परिचय
जन्म : 07 मई, 1959
शिक्षा : एम.ए. लोक संगीत तबला में विद द्विवर्षीय लोक संगीत में डिप्लोमा |
छत्तीसगढ़ के दुर्लभ 200 वाद्य यंत्रों का संग्रहण विगत 42 वर्षों से छत्तीसगढ़ के 52 लोक नृत्यों का संवर्धन स्वयं के द्वारा भिलाई में लोक वाद्य संग्रहालय की स्थापना 2004 में
विधा-लोक वाद्य संग्रहण, वादक, लोक नर्तक, लोक मंच शिल्प ।
सम्मान:
● भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय द्वारा लोक वाद्य संग्रहण के लिए एक लाख की अध्येतावृत्ति अप्रैल 2002 में छत्तीसगढ़ के गौरव सम्मान 25.01.2002 को मानस ज्ञान यज्ञ मेला जांजगीर के रजत जयंती में प्रदत्त • 14 अक्टूबर 2001 को कुर्मी भवन भिलाई में दाऊ महासिंग चन्द्राकर सम्मान, नाट्य संघ इप्टा के राज्य स्तरीय नाट्य महोत्सव भिलाई में लोक कला साधक सम्मान 21 जून, 2002, रायगढ़ राज्योत्स 3 नवम्बर 2004 में श्रेष्ठ लोक कलाकार सम्मान, 15 फरवरी, 2012 नई दिल्ली में तत्कालिक केन्द्रीय मंत्री श्री हरीश रावत जी द्वारा लोक कला साधक सम्मान, 2012 गणतंत्र दिवस परेड में त्रिमुर्ति भवन नई दिल्ली में श्रेष्ठ लोक नृत्य के लिए तत्कालिक प्रधान मंत्री स्व. मनमोहन सिंह द्वारा स्वर्ण पदक से सम्मानित, 2015 गणतंत्र दिवस परेड में त्रिमुर्ति भवन नई दिल्ली में श्रेष्ठ लोक नृत्य के लिए प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वर्ण पदक से सम्मानित, राष्ट्रीय संगीत महोत्सव सिरपुर (छ.ग.) 6 फरवरी 2014 को कला साधक सम्मान, गणतंत्र दिवस समारोह नई दिल्ली कर्तव्यपथ पथ पर 2000 से 2024 तक 10 बार छत्तीसगढ़ के झांकी का प्रतिनिधित्व |
पुरस्कार :
* 9वीं राष्ट्रीय युवा उत्सव जमशेदपुर 16 जनवरी 2004 लोक नृत्य में रजत पदक प्राप्त 28 जनवरी, 2004 को राजभवन रामपुर (छ.ग.) में तात्कालिक राष्ट्रपति महामहिम स्व. अब्दुल कलाम द्वारा प्रशंसित • युवा उत्सव 1996 छत्तीसगढ़ में लोकनृत्य में प्रथम पुरस्कार • शिमला में आल इंडिया लोक नृत्य प्रतियोगिता 90, 91 एवं 94 में विषेश पुरस्कार 11 जुलाई, 2003 को आल इंडिया लोक नृत्य प्रतियोगिता केरल समाज दुर्ग (छ.ग.) में लोक नृत्य में प्रथम पुरस्कार 12 से 16 सितम्बर 2004 राष्ट्रीय एकता शिविर भुवनेश्वर में श्रेष्ठ लोक कला दल पुरस्कार •1 मार्च 2008 को आल इंडिया पब्लिक सेक्टर लोक नृत्य प्रतियोगिता नई दिल्ली में प्रथम पुरस्कार
सम्पति: छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ लोक कलाकार प्रसिद्ध सांस्कृतिक संस्था लोक रागिनी एवं कुडुकी के संस्थापक- भिलाई इस्पात संयंत्र से सेवानिवृत्त।