नौ दिसंबर को दिल्ली में होगी एनजेसीएस की सब-कमेटी की बैठक
भिलाई : न्यूज़ 36 : भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारियों से संबंधित लंबित वित्तीय मुद्दों पर निर्णय के लिए नेशनल जाइंट कमिटी फार स्टील (एनजेसीएस) की सब-कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक नौ दिसंबर को दिल्ली में बुलाई गई है। यह बैठक इसलिए विशेष मानी जा रही है, क्योंकि इसमें भिलाई इस्पात संयंत्र (बीएसपी) सहित सभी यूनिट्स के कर्मचारियों के 39 माह के लंबित एरियर, हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) तथा वेतन समझौते की समीक्षा से जुड़े मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।
कर्मचारी संगठनों के अनुसार 39 माह से लंबित एरियर और एचआरए संशोधन पर अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका है। इस दौरान कई बार बैठक प्रस्तावित हुई, लेकिन या तो स्थगित हो गई या अधूरी कार्यसूची के कारण आयोजित नहीं हो पाई। वर्ष 2021-2031 के बीच लागू वर्तमान वेतन समझौते के दौरान सब-कमेटी की केवल एक औपचारिक बैठक ही हो सकी है,जिसके बाद लंबित वित्तीय मामलों पर कोई विस्तृत समीक्षा नहीं हुई। नई बैठक को इसी वजह से कर्मचारियों के लिए निर्णायक माना जा रहा है।
भिलाई इस्पात संयंत्र के लिए विशेष महत्व
बीएसपी के हजारों कर्मचारी इस बैठक को लेकर विशेष रूप से चितित हैं। कर्मचारियों का कहना है कि 39 माह से लंबित एरियर के चलते आर्थिक दबाव बढ़ा है। हाउस रेंट अलाउंस की संरचना भी शहरों के नए वर्गीकरण और बढ़ती महंगाई के अनुरूप नहीं है। यूनियनों ने उम्मीद जताई है कि इस बार की बैठक में कर्मचारियों के हित में ठोस निर्णय लिए जाऐंगे।
जिसके बाद लंबित वित्तीय मामलों पर कोई विस्तृत समीक्षा नहीं हुई। नई बैठक को इसी वजह से कर्मचारियों के लिए निर्णायक माना जा रहा है।
कम बैठकों पर नाराज कर्मचारी
सब-कमेटी की सीमित बैठकों पर कर्मचारी संगठनों ने असंतोष जाहिर किया है। उनका कहना है कि सब-कमेटी की बैठकें नियमित होतीं तो एरियर और एचआरए जैसे मुद्दे लंबे समय तक अटके न रहते। अब तक कमेटी द्वारा विस्तृत विचार-विमर्श न होने के कारण वेतन समझौते के कई बिंदु लागू नहीं हो पाए हैं।

सब-कमेटी के अधिकार और भूमिका
एनजेसीएस की सब-कमेटी को वेतन समझौते के लंबित बिंदुओं की समीक्षा, एरियर निर्धारण, भत्तों के पुनर्गठन और कर्मचारी-हित से जुड़े विवादित मुद्दों पर अनुशंसा तैयार करने का अधिकार प्राप्त है।
यह कमेटी वेतन समझौते के क्रियान्वयन, भत्तों की संरचना, महंगाई दर के प्रभाव और यूनिट-स्तर की समस्याओं पर प्रबंधन एवं मजदूर संगठनों के बीच सहमति के बिंदु तैयार करती है।
सब-कमेटी की सिफारिशें मुख्य समिति के अंतिम निर्णय का आधार बनती हैं, इसलिए यह बैठक कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करने की क्षमता रखती है।
