Tuesday, October 22, 2024

सेंट थॉमस कॉलेज रुआबांधा में भारतीय न्याय संहिता विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का किया गया आयोजन

भिलाई : न्यूज़ 36 : सेंट थामस कॉलेज,रुआबांधा में ‘भारतीय न्याय संहिता’ विषय एवं यातायात नियम पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक द्वारा बताया गया कि अंग्रेजो द्वारा बनाया गया कानून दण्ड के आधार पर था और नवीन कानून पीडित को समय पर न्याय दिलाने के लिए बनाया गया है।01 जुलाई 2024 को पूरे भारत मे अंग्रेजो के जमाने से चले आ रहे कानून को बदल कर भारतीय न्याय संहिता पूर्ण रूप से लागू किया गया, दुर्ग पुलिस के यातायात अभियान फालो गुड हेबिटस के तहत 21 डे चैलेज की जानकारी छात्र-छात्राओं को दी गयी।

भारत सरकार द्वारा राजपत्र में प्रकाशित तीन नवीन आपराधिक कानून 01जूलाई 2024 को लागू होने पर पुलिस अधीक्षक दुर्ग  जितेन्द्र शुक्ला के द्वारा जिले के शासकीय एवं अशासकीय संस्थानों / कॉलेज में तीन नवीन अपराधिक कानून के प्रशिक्षण एवं प्रचार-प्रसार के लिए दुर्ग पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को दिये गये निर्देश पर सेंट थॉमस कॉलेज, रुआबान्धा में 01 दिवसीय नवीन भारतीय न्याय संहिता विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।

भारत सरकार द्वारा राजपत्र में प्रकाशित तीन नवीन आपराधिक कानून 01जूलाई 2024 को  इस कार्यक्रम में  सत्यप्रकाश तिवारी,(नगर पुलिस अधीक्षक भिलाई नगर) सतीश ठाकुर (उप पुलिस अधीक्षक, यातायात), कॉलेज प्रबंधन, प्रिंसिपल एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहें।

कार्यक्रम की शुरूआत में  अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, सुखनन्दन राठौड़ (शहर) के द्वारा पूर्व के कानून ‘भारतीय दण्ड संहिता’ पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि यह कानून अंग्रेजों के द्वारा 1857 की विद्रोह के बाद भारतीयों पर अपना दबाव एवं नियंत्रण मे रखने के लिए दण्ड के आधार पर 1861 मे लागू किया गया था इस दण्ड के कानून को भारत सरकार द्वारा 01 जुलाई 2024 से न्याय का कानून ‘भारतीय न्याय संहिता” भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम* पीडित को समय पर न्याय दिलाने के लिए लागू किया गया है, जिससे आम जनता एवं पीड़ित को न्याय मिलने में विलंब न हो और इसके अंतर्गत पुलिस एवं न्यायालय के लिए भी समय निर्धारित किया गया है। नये कानून के अंतर्गत महिलाओं एवं बच्चों से संबंधित अपराध के लिए अलग-अलग क्लीरिफिकेशन करते है परिभाषा को एकजाई किया गया है। जिसमें बच्चों की परिभाषा दी गई है कि, बच्चा कौन है? महिलाओं से संबंधित अपराधों में दण्ड का प्रावधान करते हुए महिलाओं से संबंधित अपराधों को कठोर बनाया गया है। किसी भी अपराध में गवाह की फोटो एवं वीडियोग्राफी की जायेगी जिसे न्यायालय मे मान्य होगा। जिससे पीड़ित को न्याय मिलने में आसानी होगी। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के अंतर्गत कहीं अपराध होता है, और आप वहां उपस्थित नहीं है। उस स्थिति में आप जहां कहीं भी हों, वहीं नजदीकी थाना से जीरो एफ.आई.आर. करा सकते हैं। एफ.आई.आर. करना पुलिस का दायित्व है। वह इनसे इंकार नहीं करेगा। साथ ही ई.एफ.आई.आर. के अंतर्गत आप घर में चोरी या घटना दुर्घटना होती है तो आप रजिस्टेड ई मेल के माध्यम से पुलिस के रजिस्ट्रेड ई मेल या वाट्सअप के माध्यम से सूचना भेज सकते हैं। और तीन दिवस के भीतर अंदर संबंधित थाने में उपस्थित होकर हस्ताक्षर करना अनिवार्य होगा। आतंकवाद से संबंधित भी नये कानून में दर्शाया गया है। जो देश के नुकसान से संबंधित कार्य करता है तो वह देश द्रोह होगा, जिसमें मृत्यु दण्ड का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार बच्चे से संबंधित कोई अपराध करवाता है, और जो इस अपराध में संबंधित रहेगा उसे भी सजा सामांतर प्रावधान किया गया है।

नये कानून में पुलिस दायित्वों को भी बताते हुए कहा गया कि, पुलिस का दायित्व है कि, जो प्रार्थी रहेगा उसे समय-समय पर उसके केस की विवेचना का प्रोग्रेस रिपोर्ट बताना होगा, तथा पीड़ित एवं अपराधी को कार्यवाही की काॅपी उपलब्ध करवाई जावेगी।

कार्यक्रम कें अंत में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक द्वारा दुर्ग पुलिस के अभियान “फाॅलो गुड हेबिटस” के तहत ’21 डे चैलेंज’ की जानकारी छात्र-छात्राओं को प्रदान की गई। जिसमें बताया गया कि आप 21 दिन तक यातायात नियमों का पालन करते हुए वाहन चलाओगे तो वह आपकी आदत में शुमार हो जायेगी।

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