Thursday, December 26, 2024

Lok Sabha Elections 2024 : चिराग पासवान हो सकते हैं “एनडीए” में शामिल, आखिर क्या होगा समीकरण?

Lok Sabha Elections 2024 : नीतीश कुमार के एनडीए से नाता तोड़ने के बाद महागठबंधन की मदद से एक बार फिर बिहार में सत्ता बनाई। वहीं लालू के बेटे तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनाया गया।

हालांकि जब से नीतीश ने महागठबंधन की सरकार बनाई है तब से बिहार में राजनैतिक माहौल खराब होता जा रहा है। वहीं नीतीश के एनडीए त्यागने पर बीजेपी बिहार में 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए फ्रंटफुट पर आ गई है।

जानकारी के अनुसार लोक जनशक्ति पार्टी LJP के प्रमुख चिराग पासवान को विधिवत केंद्र के सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल कराने की तैयारी चल रही है। बीजेपी से बिहार के बारे में अपना खाका प्रकट करने के लिए कहने के अलावा, चिराग ने भगवा खेमे से 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए के ‘सीएम चेहरे’ को साफ करने के लिए भी कहा है। ये अलग बात है कि चिराग को बीजेपी केंद्र में मंत्री बनाने की सोच रही है।

वहीं ऐसा देखा जा रहा है कि बीजेपी नेतृत्व दलित नेता दिवंगत रामविलास पासवान के बेटे चिराग के साथ लगातार संपर्क में है, ताकि उन्हें एनडीए में शामिल होने के लिए राजी किया जा सके। फिलहाल केंद्र में चिराग के विपक्षी और चाचा पशुपति कुमार पारस मंत्री हैं। जाहिर तौर पर स्थिति का फायदा उठाकर चिराग ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। हालांकि चिराग को मोदी कैबिनेट में एक मंत्रालय की पेशकश की गई है। लेकिन चिराग अपनी पार्टी के भविष्य और 2025 के विधानसभा चुनावों में एनडीए में अपनी भूमिका के बारे में सुनिश्चित करना चाहते हैं।

क्या कहता है एजेपी का समीकरण?

यह तो तय है कि बीजेपी बिना चिराग के बिहार में कोई बडी जीत हासिल नहीं कर सकती हैं। अगर बीजेपी को दलितों का साथ चाहिए तो बीजेपी के पास आखिरी रास्ता चिराग ही है। चिराग दलितों के चहेते माने जाते है। चिराग के एक करीबी नेता के मुताबिक बीजेपी जानती है कि बिहार में सभी 40 लोकसभा सीटें अकेले मोदी नहीं जीत सकते हैं।

इसके लिए पहले से रणनीति तैयार करनी होगी, सहयोगियों को विश्वास में लेना होगा और मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के लिए संयुक्त अभियान शुरू करना होगा। यहां ये देखना भी जरूरी है कि 2019 के लोकसभा चुनावों मेंचिराग की पार्टी को 8.02% वोट मिले थे जबकि 2014 में उसका वोट प्रतिशत 6.50 था। विधानसभा चुनाव में भी उसका वोट प्रतिशत काफी प्रभावशाली रहा है। जानकारी के अनुसार बिहार के 38 में से कम से कम 14 जिलों में पासवान मतदाता प्रभावशाली हैं।

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