टिकट हस्तांतरण नियम में नहीं है उल्लेख, केंद्र सरकार के समक्ष आपत्ति जताई जागरूक नागरिक ने
भिलाई। भारतीय रेलवे सास और बहू को एक परिवार का हिस्सा नहीं मानता। यह जानकारी रेलवे के स्थानीय अधिकारियों ने लिखित में दी है। इस जवाब से हैरान शहर के एक जागरूक नागरिक ने आपत्ति जताते हुए केंद्र सरकार को पत्र लिखा है और नियम में संशोधन की मांग उठाई है।
स्मृति नगर निवासी संतोष कुमार ने बताया कि वह अपनी पत्नी व बच्चे के साथ ट्रेन के सफर पर जा रहे थे लेकिन किन्हीं कारणवश पत्नी का जाना स्थगित हो गया। ऐसे में वह अपनी पत्नी की टिकट को अपनी मां के नाम हस्तांतरित करवाना चाहते थे। इसके लिए वह दुर्ग रिजर्वेशन कार्यालय में जिम्मेदार अधिकारियों से मिले। लेकिन रेलवे के अधिकारियों ने नियमों का हवाला देते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया। मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक ने संतोष कुमार को लिखित में जवाब दिया है कि-16 अगस्त 1990 को गजट में प्रकाशित नियमों के अनुसार परिवार के अंतर्गत माता, पिता, भाई, बहन, बेटा, बेटी, पति और पत्नी को ही लिया जाता है। इसलिए सास-बहू के बीच टिकट हस्तांतरित नहीं की जा सकती।
संतोष कुमार ने इस जवाब की प्रतिलिपि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रेल मंत्री, रेल मंत्रालय के सचिव और भारतीय रेलवे बोर्ड के प्रमुख अफसरों को भेजते हुए आपत्ति जताई है। संतोष कुमार का कहना है कि रेलवे द्वारा सास और बहू को एक परिवार का हिस्सा नहीं मानना गलत है। चूंकि सास और बहू एक ही घर में रहते हैं और दोनों का रिश्ता एक परिवार की वजह से है, इसलिए इन्हें एक परिवार का हिस्सा मानना चाहिए। उन्होंने मांग की है कि सास-बहू को भी एक परिवार का हिस्सा माना जाए, जिससे रेलवे की यात्रा करने के दौरान परिस्थितिवश टिकट हस्तांतरण में कोई परेशानी न आए।