भिलाई : न्यूज़ 36 : भिलाई इस्पात संयंत्र में सिमटती सुविधाएं एमटीटी कर्मियों को नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर रही हैं। साल में औसत पच्चीस प्रशिक्षु इंजीनियर अन्य उपक्रमों की ओर पलायन कर रहे हैं। इस मामले में बीएसपी और सेल प्रबंधन उदासीन बना हुआ है।

उल्लेखनीय है कि कई अन्य सार्वजनिक उपक्रमों की तुलना में सेल बीएसपी में कार्मिकों को वेतन और अन्य बुनियादी सुविधाएं कमतर हैं। प्रबंधन द्वारा अपडेट नहीं किये जाने का खामियाजा नवागंतुक कार्मियों के साथ बीएसपी को भी भुगतना पड़ रहा है। यूनियनों के मुताबिक इस माह दो और एमटीटी इंजीनियरों ने बीएसपी की नौकरी छोड़ने केलिए आवेदन दिया है। इसके पहले भी आधा दर्जन प्रशिक्षु इंजीनियर नौकरी छोड़कर अन्य उपक्रमों में जा चुके हैं। हर साल करीबन 25 से 30 कार्मिक नौकरी छोड़ रहे हैं। इसकी वजह कर्मचारियों की आवासीय, मेडिकल आदि सुविधाओं का सिमटना है। बीएसपी टाउनशिप में आवास जहां छोटे हैं वहीं पचास साल पुराने और जर्जर होने के बाद भी मेंटेनेंस भी नहीं किया जा रहा है। इस कारण कर्मियों का परिवार के साथ गुजारा मुश्किल होता है। सभी सेक्टरों के क्वार्टर साठ के दशक में हुए हैं। जबकि भेल, एनटीपीएसपी और कोल माइंस आदि उपक्रमों के क्र्वाटर आकार में बड़े हैं और प्रबंधन द्वारा इनका नियमित मेंटेनेंस भी कराया जाता है। इसके चलते नवागंतुक कार्मिक बीएसपी से एनटीपीसी और भेल आदि की ओर पलायन करने मजबूर हो रहे हैं।
चिकित्सा सुविधाएं भी हो रहीं कमतर
भिलाई इस्पात संयंत्र से कार्मिकों के पलायन का एक कारण चिकित्सा सुविधा का सिमटना भी है। यहां बीएसपी जेएलएन सेक्टर नौ अस्पताल में पिछले कुछ साल से विशेषज्ञ चिकित्सकों और सेवा के स्तर में गिरावट आ रही है। आधा यूनियनों के मुताबिक यह अस्पताल रेफरल सेंटर बनकर रह गया है। इससे कर्मियों को जेएलएन अस्पताल में पर्याप्त चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है। उन्हें अन्य अस्पताल की ओर रुख करना पड़ रहा है।
नहीं बन रहे बड़े आवास
बीएसपी ने टाउनशिप में पिछले चालीस साल से नार मकानों के निर्माण नहीं करवाया है। पुराने आवास तंग और जर्जर हो रहे हैं। कई मकानों को अनफिट घोषित किया जा चुका है। यूनियनों द्वारा कर्मियों के लिए टू बीएचके और थी बीएचके आवासों के निर्माण की मांग की जा रही है। लेकिन अब तक इनका निर्माण नहीं किया गया है। इंटक के महासचिव वीबी सिंह ने बताया कि जल्द बड़े आवासो का निर्माण किया जाना चाहिए। वहीं सेक्टर नौ अस्पताल में चिकित्सा विशेषज्ञों की नियुक्ति के साथ अस्पताल का निजीकरण नहीं होना चाहिए।
